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    फरीदाबाद के मृणाल और अविका ने नीट में लहराया परचम, देशभर में हासिल की शीर्ष रैंक

    फ़रीदाबाद के मृणाल किशोर झा ने नीट यूजी में चौथी रैंक हासिल कर जिले का नाम रोशन किया। डॉक्टर दंपति की बेटी अविका अग्रवाल ने भी पांचवीं रैंक प्राप्त की। मृणाल ने 12-14 घंटे पढ़ाई की और इंटरनेट मीडिया से दूरी बनाए रखी। अविका ने माता-पिता और शिक्षकों को सफलता का श्रेय दिया। दोनों एम्स में दाखिला लेकर डॉक्टर बनना चाहते हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Sonu Suman Updated: Sat, 14 Jun 2025 11:31 PM (IST)
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    मृणाल ने नौंवी कक्षा में तय किया था डाक्टर बनने का लक्ष्य, अब होगा पूरा

    निभा रजक, फरीदाबाद। इंजीनियर पिता चाहते थे कि बेटा भी इंजीनियर बने पर किशोर मन मृणाल किशोर झा ने नौंवी कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही तय कर लिया था कि डाक्टर बनना है। बस अपनी रुचि अनुसार चुनी राह पर चल पड़े और जो लक्ष्य तय किया था, उसे हासिल करने के लिए जुट गए जी जान से। बेटे के फैसले को माता-पिता ने भी सिर माथे लिया और पूरा सहयोग किया। दृढ़ निश्चय के साथ मृणाल आगे बढ़े और शनिवार को जब नीट यूजी का परिणाम आया तो मृणाल देश भर में चौथी रैंक के साथ सफलता अपने नाम लिखा चुके थे।

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    मृणाल ने अपनी उपलब्धि से न सिर्फ परिवार बल्कि जिला फरीदाबाद, हरियाणा राज्य और बिहार राज्य का नाम देशभर में रोशन कर दिया है। मृणाल का पूरा परिवार मूलरूप से बिहार के बेतिया शहर से संबंध रखता है। इसी तरह से डाक्टर दंपती की संतान शहर की होनहार बेटी अविका अग्रवाल ने भी अखिल भारतीय स्तर पर पांचवीं रैंक हासिल की है। घर पर बधाई देने वालों का तांता लग गया है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता तथा अध्यापकों को दिया है।

    माता-पिता का मिला पूरा सहयोग

    ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित ओमेक्स हाइट्स सोसायटी के निवासी मनोज कुमार झा से जब बात की गई तो वह बेटे के साथ दिल्ली में कोचिंग इंस्टीट्यूट में थे। परिणाम आने के बाद ही उनके मोबाइल की घंटी रुकने का नाम नहीं ले रही थी। बधाई देने वालों का क्रम एक के बाद एक जारी था। परिणाम के बाद कोचिंग इंस्टीट्यूट वालों ने दिल्ली बुला लिया था। एनएचपीसी में जनरल मैनेजर मनोज झा ने फोन पर ही दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि बेटे मृणाल किशोर झा ने गौरवान्वित किया है।

    वह और उनकी धर्मपत्नी किशोरी झा चाहते थे कि बेटा भी इंजीनियर बने, लेकिन मृणाल की रूचि डाक्टर बनने में थी। मृणाल ने नौंवी कक्षा में ही डाक्टर बनने की ठान ली थी। बेटे की रुचि पर हमने अपनी पसंद थोपना ठीक नहीं समझा। मृणाल ने दिल्ली में मौसी के घर रह कर अपने लक्ष्य को साधना बेहतर समझा। इसके लिए उसने रोहिणी में ही इंद्रप्रसथ पब्लिक स्कूल में 12वीं तक पढ़ाई की।

    मृणाल ने बताया कि लक्ष्य हासिल करने को दिन में 12 से 14 घंटे पढ़ाई करता था। जब पढ़ाई से कुछ थक जाता था तो फिर फ्रेश होने के लिए कोई न कोई गेम खेल लेता था या संगीत सुनता था। इंटरनेट मीडिया से खुद को दूर रखता था। मृणाल का दाखिला अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली में होगा। वह डाक्टर बनकर जरूरतमंदों की मदद करना चाहते हैं। मृणाल के छोटे भाई मयंक किशोर झा भी जेईई की तैयारी कर रहे हैं।

    माता-पिता से मिली डॉक्टर बनने की प्रेरणा

    नीट में अखिल भारतीय स्तर पर पांचवीं रैंक हासिल की प्राप्त करने वाली अविका के घर बधाई देने वालों का तांता लग गया है। डाक्टर माता-पिता की संतान अविका सेक्टर-37 स्थित हेमिल्टन हाइट्स सोसायटी में रहती हैं। अविका ने दसवीं तक फरीदाबाद के ग्रेंड कोलंबस स्कूल से पढ़ाई की है और ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली के सावित्री पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया।

    अविका की माता निहा अग्रवाल एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद एमडी भी की और अब डाक्टरी करने वाले बच्चों को ही पढ़ाती हैं, जबकि अविका के पिता डा.आशुतोष अग्रवाल नेवी में अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं। अपनी मंजिल हासिल करने के लिए अविका रोजाना 10 से 12 घंटे पढ़ाई करती थीं। नीट की तैयारी के दौरान इंटरनेट मीडिया से दूर रहने वाली अविका जब पढ़ाई से थक जाती थीं तो फिर पिता के साथ टेबिल टेनिस खेलती थीं।

    अविका को लक्ष्य हासिल करने में उनके माता-पिता ने पूरा सहयोग किया। अविका को कभी घर पर अकेला नहीं छोड़ा। अपना काम खत्म होने के बाद वह अविका के साथ और बेटे के साथ समय बिताते हैं। अविका ने आकाश इंस्टीट्यूट से तैयारी की है और अब एम्स में दाखिला लेकर न्यूरोलाजिस्ट या फिर डर्मेटोलाजिस्ट बनना चाहती हैं।