ईएसआई अस्पताल की जांच में दवाएं मरीजों को नहीं मिलीं तो कहां गईं ? जमीन खा गई या आसमान निगल गया
फरीदाबाद के ईएसआईसी अस्पताल में दवाइयों के भंडार में अनियमितताएं पाई गई हैं जिससे मरीजों के लिए दवाइयों की उपलब्धता पर सवाल उठ रहे हैं। जांच में दवाइयों की खरीद और वितरण में गड़बड़ी सामने आई है जिसके चलते डीन और फार्मासिस्ट निलंबित हुए हैं। पहले भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिससे स्थानीय खरीद में घोटाले की आशंका बढ़ गई है।
अनिल बेताब, फरीदाबाद। ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) मेडिकल काॅलेज व अस्पताल के स्टोर से गायब दवाएं जमीन खा गई या आसमान निगल गया। यह सवाल ईएसआई कार्डधारकों के जहन में भी उठ रहा है।
ईएसआईसी मख्यालय, राजधानी दिल्ली की जांच में यह बात तो सामने आ गई है कि स्टोर में उपलब्ध दवाओं और उनके रिकार्ड में खासी गड़बड़ी है।
यानी दवा की खरीद के अनुसार और मरीजों को दी गई दवा का रिकार्ड मेल नहीं खा रहा है। इस मामले में काॅलेज के डीन डाॅ. एके पांडेय और पांच फार्मासिस्टों को निलंबित किया गया है।
अभी तक की जांच में दवा रिकार्ड में गड़बड़ी की बात सामने आ रही है, मगर असला मास्टरमाइंड कौन है। यह स्थिति साफ नहीं हुई है।
22 वर्ष पले बाजार में मिली थीं ईएसआई की दवाएं
22 वर्ष पूर्व ईएसआई अस्पताल में मरीजों के लिए सप्लाई की गईं दवाएं बाजार में पाई गई थीं। 2003 मेंं तत्कालीन वरिष्ठ औषधिनियंत्रण अधिकारी आरके चुघ तथा औषधि नियंत्रण अधिकारी नरेंद्र आहूजा की छापेमारी में दवाएं बरामद की गई थीं।
इसके बाद 2008 में फिर से ईएसआइ सप्लाई की दवाएं जिले के दो गांवों के मेडिकल स्टोर और हरियाणा-दिल्ली सीमा पर स्थित एक मेडिकल स्टोर पर मिली थीं। उस समय छाापेमारी के दौरान जो दवाएं कब्जे में ली गई थीं।
उन पर ईएसआई सप्लाई की मोहर लगी हुई थी। वर्तमान की बात करें तो ईएसआइ अस्पताल के स्टोर में जिन दवाओं की कमी की बात आ रही है। उनमें से अधिकाांश दवाएं महंगी और लोकल खरीद की हैं। इन दवाओं की पैकिंग पर ईएसआई सप्लाई भी लिखा हुआ नहीं है।
दवा की गड़बड़ी के मामले में ऐसी भी आशंका
ऐसी आशंका भी जताई जा रही है कि स्टोर में जितनी मात्रा में दवा खरीदी जाती हैं। उससे अधिक संख्या की दवा का बिल बनाया जाता है। खरीद और दवा स्टाक के रिकार्ड के मिलान में गड़बड़ी की एक वजह यह भी हो सकती है।
कैंसर और हार्ट की दवाओं के मामले में हो सकता है खेल
अस्पताल में हर महीने लगभग दो करोड़ रुपये तक की दवाओं की लोकल खरीद होती है। इनमें महंगी होने के कारण कैंसर और हार्ट की दवाओं के मामले में खेल हो सकता है। अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन विभिन्न बीमारियों के लगभग 4800 मरीज आते हैं।
प्रतिदिन कैंसर और हृदय रोगों के 200 से अधिक मरीज इलाज को आते हैं। हार्ट का 25 बेड का सीसीयू है, जो हमेशा फल रहता है। ऐसे ही कैंसर के 20 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं।
हर पहलू से हो जांच
ईएसआइ काॅरपोरेशन, हरियाणा के रिजनल बोर्ड के सदस्य बेचू गिरी कहते हैं कि दवा गड़बड़ी के मामले में हर पहलू से जांच होनी चाहिए।
प्रतिदिन आने वाले मरीजों और दी जाने वाली दवाओं का रिकार्ड बनना चाहिए। यहां काॅलेज और कारपोरेशन के कई अधिकारियों के बीच आपस में तालमेल न होने से व्यवस्था बिगड़ रही है।
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