faridabad News: लाखों रुपए खर्च कर सरकारी स्कूलों में लगाए गए डिजिटल बोर्ड, अब बनकर रह गए शोपीस
फरीदाबाद के सरकारी स्कूलों में डिजिटल शिक्षा की स्थिति दयनीय है। 2018-19 में लाखों रुपये खर्च करके डिजिटल बोर्ड लगाए गए लेकिन इंटरनेट और बैकअप के अभाव में 30 से अधिक स्कूलों में ये बोर्ड खराब पड़े हैं। स्कूलों में मरम्मत के लिए बजट भी उपलब्ध नहीं है। शिक्षा विभाग ने बोर्डों को ठीक कराने और कक्षाएं संचालित करने के आदेश दिए हैं।

निभा रजक, फरीदाबाद। शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों को डिजिटल शिक्षा प्रदान करने, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और शिक्षकों की सुविधा के लिए 2018-19 में सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड लगाए थे। इन पर लाखों रुपये खर्च किए गए, लेकिन इंटरनेट और बैकअप की सुविधा नहीं दी गई।
नतीजतन, अधिकांश स्कूलों में डिजिटल बोर्ड खराब पड़े हैं। हालात यह हैं कि दोनों ब्लॉकों के 30 से अधिक सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड खराब पड़े हैं। प्रत्येक डिजिटल बोर्ड की अनुमानित लागत डेढ़ लाख रुपये है।
जिले के लगभग सभी सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ने के लिए डिजिटल बोर्ड उपलब्ध कराए गए थे। इन बोर्डों पर पढ़ाने के लिए नए आदेश जारी किए गए हैं। शुक्रवार को दैनिक जागरण की टीम ने जिले के सरकारी स्कूलों में लगे डिजिटल बोर्डों की स्थिति की पड़ताल की तो पता चला कि ये महज शोपीस बनकर रह गए हैं।
राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय लालपुर, पल्ला नंबर एक, सेक्टर दो, सेक्टर तीन और सेक्टर 37 में दो-दो डिजिटल बोर्ड लगाए गए थे। इन स्कूलों में दोनों स्मार्ट बोर्ड पिछले कई महीनों से खराब पड़े हैं। शिक्षकों ने बताया कि सरकार ने बोर्ड तो उपलब्ध करा दिए, लेकिन सिस्टम की मरम्मत नहीं हुई।
स्कूलों में इंटरनेट और पावर बैकअप की कमी है। नतीजतन, डिजिटल बोर्ड अक्सर खराब रहते हैं। बिजली के उतार-चढ़ाव और उचित रखरखाव के अभाव में कई बोर्ड खराब हो गए हैं।
राजीव कॉलोनी स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में तीन डिजिटल लैब लगाई गई थीं। इनमें से दो खराब हैं। वहीं, मॉडल संस्कृति स्कूल नचौली में दो, राजकीय कन्या मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय में एक, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बुढ़ैना में एक, राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय सेक्टर 29 में दो, ऊँचा गाँव में एक, बजरी में एक और चिरसी स्कूल में एक स्मार्ट बोर्ड खराब हैं।
पिछले सात सालों में इनकी मरम्मत के लिए कोई बजट जारी नहीं किया गया है। शिक्षा विभाग ने इस समस्या का समाधान नहीं किया है।
जिन स्कूलों में बोर्ड खराब हुए हैं, उनकी मरम्मत कराई जाएगी। इस संबंध में स्कूलों को आदेश जारी कर दिए गए हैं। सभी स्कूलों को डिजिटल बोर्ड पर कक्षाएं संचालित करनी होंगी। लापरवाही बरतने वाले स्कूल प्रमुखों और प्रधानाचार्यों की जवाबदेही तय की जाएगी।
- डॉ. मनोज मित्तल, उप जिला शिक्षा अधिकारी
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