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    बालों से हजारों गुना छोटे वायरस की पहचान करेगा माइक्रोस्कोप, मशीन से मिलेगी हर जानकारी

    Updated: Thu, 18 Jan 2024 08:24 AM (IST)

    आइआइटी दिल्ली की ओर से भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में इस बाबत स्टाल लगाया गया है। आइआइटी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर डॉ.सचिन कदम ने दैनिक जागरण के साथ जानकारी साझा करते हुए बतया कि यह शक्तिशाली माइक्रोस्कोप एक आधुनिक कैमरे के समान है जिससे हजारों गुना छोटी चीजों को स्पष्टता के साथ देखा जा सकता है। शून्य से कम तापमान में भी काम करने की क्षमता है।

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    आइआइटी के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर डॉ.सचिन कदम

    वैभव तिवारी, फरीदाबाद। बाल से हजारों गुना छोटे वायरस व प्रोटीन से जुड़े रहस्यों से पर्दा उठाने का काम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आइआइटी) दिल्ली का क्रायो ट्रांसमिशन इलेक्ट्रान माइक्रोस्कोप(क्रायो टेम) करेगा।

    वायरस के दिखने के तरीके व उसके प्रकार की जानकारी मशीन से ली जा सकेगी। उसमें स्थित प्रोटीन, दवा, वैक्सीन से वायरस पर पड़ने वाले असर को भी इसमें देखा जा सकता है। इससे दवा व वैक्सीन को उन्नत करने में मदद मिलेगी।

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    आइआइटी दिल्ली की ओर से भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में इस बाबत स्टाल लगाया गया है। आइआइटी के चीफ आपरेटिंग आफिसर डॉ. सचिन कदम ने दैनिक जागरण के साथ जानकारी साझा करते हुए बतया कि यह शक्तिशाली माइक्रोस्कोप एक आधुनिक कैमरे के समान है, जिससे हजारों गुना छोटी चीजों को स्पष्टता के साथ देखा जा सकता है। शून्य से कम तापमान में भी काम करने की क्षमता क्रायो टेम को और सशक्त माध्यम बनाता है।

    ट्रायल बतौर आइआइटी ने एक साल पहले शुरू किया काम

    आइआइटी में करीब एक वर्ष पहले इस मशीन से काम करना शुरू किया गया है, लेकिन अभी तक इसका औपचारिक संचालन शुरू नहीं किया गया है। इसमें स्थित डीप फ्रीजर जैविक नमुनों को संरक्षित रखते हुए उसपर शोध को प्रभावी बनाती है।

    जैविक नमूनों से बीमारियों के सूक्ष्म से सूक्ष्म रहस्य जानने, प्रभावी दवा व वैक्सीन तैयार करने में मदद मिल रही है। इसमें शोध करते हुए वैज्ञानिक छोटे से छोटे रहस्यों को खोजने का काम कर सकते हैं। जीव विज्ञान व मैटेरियल साइंस के साथ में इंजीनियरिंग क्षेत्र इससे लाभान्वित होगा। अब इसके औपचारिक संचालन की शुरुआत हो सकती है।

    जैविक रहस्यों का करता है थ्री डी विश्लेषण

    क्रायो टेम जैविक रहस्यों का थ्री डी चित्रण कर उनका विश्लेषण करता है। डा.सचिन कदम के अनुसार इससे जटिल जानकारियां प्रभावी ढंग से मिल जाती हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में अबूझ पहेलियों को हल करने में इसकी मदद ली जा सकती है।

    अणुओं के स्तर पर भी इसकी व्याख्या की जाती है। इसके साथ ही दवाओं की संरचना भी इससे बनाई जा सकती है, जो संक्रामक रूप से फैलने वाले वायरस को नियंत्रित करने के साथ में उसे खत्म करने में सहायक साबित होंगे।

    उन्होंने बताया कि वायरस का पता लगाने, वैक्सीन व दवा की खोज करने में क्रायो टेम मददगार है। यह शोधार्थियों के लिए खोज के नए अवसर उपलब्ध कराएगी।

    शोधार्थी व वैज्ञानिक कर सकेंगे खोज

    आइआइटी दिल्ली में साफिस्टिकेटेड एनालिटिकल हेल्प इंस्टीट्यूट (साथी) के सेंटर में मशीन का संचालन किया जाना है। यहां पर शोधार्थी व वैज्ञानिक शोध व नवाचार से जुड़े काम कर सकेंगे।