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    Mock Drill: 1971 में निभाई थी सिविल डिफेंस की जिम्मेदारी, देश सेवा के लिए आज भी तैयार

    Updated: Wed, 07 May 2025 11:58 AM (IST)

    1971 India-Pakistan War 98 वर्षीय अमरनाथ बागी जिन्होंने 1971 के युद्ध में सिविल डिफेंस में अहम भूमिका निभाई थी आज भी देश सेवा के लिए तत्पर हैं। युद्ध के समय उन्होंने घर-घर जाकर नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की थी। आज भी उनमें वही जोश और जज्बा है और अगर उन्हें जिम्मेदारी दी जाए तो वे मॉक ड्रिल के लिए तैयार हैं।

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    बुजुर्ग अमरनाथ बागी ने अहम भूमिका निभाई थी। फोटो- जागरण

    सुशील भाटिया, फरीदाबाद। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ युद्ध का सा माहौल बना हुआ है। युद्ध का शंखनाद कभी भी हो सकता है। युद्ध के दौरान सिविल डिफेंस यानी नागरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी अहम हो जाती है, क्योंकि सरकारी तंत्र हर जगह पर नहीं पहुंच सकता।

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    उस दौरान आम आदमी की सुरक्षा और दुश्मन देश की सेना से चौकस रहने की जिम्मेदारी सिविल डिफेंस का जिम्मा संभालने वाले लोगों पर आ जाती है। तब प्रशासन ऐसे लोगों को जिम्मेदारी देता है जो सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हैं, जिनका समाज में रुतबा हो और उनकी बात को समाज के लोग मानते हैं।

    वयोवृद्ध पत्रकार हैं 98 वर्षीय अमरनाथ बागी

    वर्ष 1971 में पाकिस्तान के साथ जब युद्ध छिड़ा तो सिविल डिफेंस के रूप में शहर के बुजुर्ग अमरनाथ बागी ने अहम भूमिका निभाई थी। अब 98 वर्षीय अमरनाथ बागी शहर के वयोवृद्ध पत्रकार हैं और इस समय एनआइटी में पांच नंबर ए ब्लॉक स्थित घर में ही आराम फरमाते हैं, पर अब जब युद्ध वाली बात हो रही है तो उनके बाजू फिर से फड़कने लगे और उनमें सेवा का वही जोश व जज्बा दिखाई दिया।

    बागी के अनुसार तब वह 44 वर्ष थे। तब फरीदाबाद अलग जिला नहीं था और यह गुरुग्राम जिले का हिस्सा था। बागी बताते हैं कि गुरुग्राम के जिला उपायुक्त की ओर से सिविल डिफेंस की जिम्मेदारी दी गई थी, इसके तहत अपने साथियों के साथ युद्ध के दिनों में आसपास के नागरिकों की सुरक्षा करने के उपाय बताते और उनका मनोबल बढ़ाते थे।

    घर-घर जाकर किया था जागरूक

    लोगों को बताया जाता था कि दरवाजे-खिड़कियां बंद रखें। खाद्य पदार्थ व पेय पदार्थों का इस्तेमाल कम करने के लिए कहते थे, ताकि कहीं अगर युद्ध लंबा खिंच जाए तो फिर लंबे समय तक उनके पास कुछ न कुछ खाने की व्यवस्था हो।

    प्रशासन की ओर से उनकी टीम को खाद्य-पदार्थ के पैकेट मुहैया कराए जाते थे, फिर वह टीम के साथ घर-घर बांट कर आते थे। रात के समय बिजली बंद रखने को कहा जाता था, ताकि किसी प्रकार की रोशनी बाहर न आए।