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    फरीदाबाद: जोनल काउंसिल में हिमाचल ने खोल दी जुबान, चंडीगढ़ में हिस्से के दावे और नशे से लड़ाई तक; CM सुक्खू ने गिनाई सारी मांगें

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 06:26 PM (IST)

    मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू ने उत्तरी जोनल काउंसिल की बैठक में चंडीगढ़ पर हिमाचल के 7.19% हिस्से की वकालत की। उन्होंने बीबीएमबी से लंबित भुगतान, स्थायी सदस्य की नियुक्ति और जलविद्युत परियोजनाओं में निशुल्क रॉयल्टी की मांग की। उन्होंने आपदा राहत नियमों की समीक्षा, हवाई नेटवर्क के विस्तार और सीमा विवाद के समाधान पर भी जोर दिया। मुख्यमंत्री ने नशे के खिलाफ अभियान और वित्तीय सहायता की अपील भी की।

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    मुख्यमंत्री ने चंडीगढ़ पर हिमाचल के 7.19% हक़ की पुरज़ोर वकालत की (फोटो: जागरण)

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुख्खू ने उत्तरी जोनल काउंसिल की 32वीं बैठक में हिमाचल प्रदेश के चंडीगढ़ पर 7.19 प्रतिशत वैधानिक हिस्से के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया।

    उन्होंने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 तथा वर्ष 2011 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार हिमाचल प्रदेश को चंडीगढ़ की भूमि व परिसंपत्तियों में 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिकार है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी आधार पर हिमाचल को बीबीएमबी से मिलने वाली बिजली में भी हिस्सेदारी तय होती है।

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    उन्होंने बीबीएमबी से राज्य के लंबित देयों की अदायगी और बोर्ड में हिमाचल प्रदेश के एक स्थायी सदस्य की नियुक्ति की मांग रखी। साथ ही, केंद्र द्वारा संचालित जलविद्युत परियोजनाओं में राज्य को 12 प्रतिशत निशुल्क विद्युत रॉयल्टी देने की नीति के क्रियान्वयन और जिन परियोजनाओं की लागत वसूल हो चुकी है, उनमें हिमाचल की निशुल्क रॉयल्टी 50 प्रतिशत करने पर जोर दिया।

    मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि यह विषय उत्तरी जोनल काउंसिल की अगली बैठक के एजेंडा में अवश्य शामिल किया जाए ताकि हिमाचल को उसका विधिसम्मत अधिकार मिल सके। उन्होंने 40 वर्ष पूर्ण कर चुकी जलविद्युत परियोजनाओं को हिमाचल को सौंपने की भी मांग उठाई।

    उन्होंने किशाऊ और रेणुका डैम परियोजनाओं के विद्युत घटकों के लिए पूर्ण केंद्रीय वित्तपोषण की मांग करते हुए कहा कि इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर हिमाचल और उत्तराखंड को 50-50 प्रतिशत बिजली उपलब्ध करवाई जाए।

    सुख्खू ने पहाड़ी राज्यों की बढ़ती आपदा-संवेदनशीलता को देखते हुए आपदा राहत नियमों की समीक्षा और पूर्व व पश्चात आपदा प्रबंधन मापदंडों के पुनर्निर्धारण की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तनजनित प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पूरे उत्तरी क्षेत्र हेतु एकीकृत, परस्पर-निर्भर और सतत विकास ढांचा आवश्यक है।

    मुख्यमंत्री ने हिमाचल में हवाई नेटवर्क विस्तार की जरूरत पर जोर देते हुए कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार हेतु भूमि अधिग्रहण लागत सहित परियोजना के संपूर्ण वित्तपोषण की मांग की। उन्होंने छोटे हवाई अड्डों एवं हेलीपोर्ट्स हेतु अलग मास्टर प्लान तैयार करने की भी अपील की।

    सीएम सुख्खू ने सीमांत व उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उच्च ऊंचाई अनुसंधान केंद्र, आइस हॉकी स्टेडियम, साहसिक खेल केंद्र एवं प्रशिक्षण सुविधाओं के विकास का प्रस्ताव रखा। उन्होंने स्पीति में नेशनल बौद्ध संस्थान परियोजना शुरू करने और शिपकी-ला से कैलाश मानसरोवर यात्रा प्रारंभ करने की मांग भी दोहराई।

    नशे के खिलाफ राज्य की लड़ाई का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि हिमाचल में बहुआयामी अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें कानून प्रवर्तन के साथ-साथ नशा पीड़ितों के उपचार और पुनर्वास पर भी विशेष बल दिया जा रहा है। खतरनाक नशे ‘चिट्टा’ के उन्मूलन के लिए तीन माह का व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

    मुख्यमंत्री ने सर्चू और शिंकुला क्षेत्रों में हिमाचललद्दाख सीमा विवाद का शीघ्र समाधान करने की मांग की। उन्होंने पर्यावरण मंत्रालय के शिमला स्थित उप-दफ्तर को क्षेत्रीय कार्यालय में अपग्रेड करने और वन संबंधित मामलों की समय पर स्वीकृति देने का अनुरोध किया। आपदा प्रभावित परिवारों के लिए आवास निर्माण हेतु वन भूमि से एक बीघा तक अनुमति देने की भी मांग रखी।

    सुख्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने वित्तीय कठिनाइयों के बावजूद आपदा प्रभावित परिवारों को विशेष राहत पैकेज दिया है, लेकिन पीडीएनए के तहत लगभग 10,000 करोड़ रुपये तथा प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 1,500 करोड़ रुपये की सहायता अब तक लंबित है। उन्होंने पूरी राशि शीघ्र जारी करने की अपील की।

    मुख्यमंत्री ने जीएसटी क्षतिपूर्ति की समाप्ति के बाद 2023-24 तक के 9,478 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे की भरपाई के लिए विशेष टास्क फोर्स बनाने की आवश्यकता भी जताई।

    उन्होंने कहा कि हिमाचल और समूचा हिमालय पर्यावरण संरक्षण और उत्तरी भारत को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और राज्य सरकार हिमाचल को ‘ग्रीन स्टेट’ बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। बैठक में सदस्य राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।