93 पेड़ थे, बिल बनाया 768 का! फॉरेस्ट और राजस्व अफसरों ने मिलकर लूटे 15.36 लाख रुपये
फरीदाबाद में डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के कंस्ट्रक्शन में बाधा डाल रहे 93 पेड़ ...और पढ़ें

एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए काटे जाने थे पेड़। जागरण
निभा रजक, फरीदाबाद। डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट और रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अधिकारियों की धोखाधड़ी सामने आई है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के कंस्ट्रक्शन में रुकावट डाल रहे 93 पेड़ों की जगह 768 पेड़ दिखाकर अधिकारियों ने डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर के फर्जी साइन किए और ज़मीन के मालिक रविंद्र सिंघल को 15.36 लाख रुपये का पेमेंट कर दिया। फिर उन्होंने रकम आपस में बांट ली। 93 पेड़ों की कीमत करीब 1.75 लाख रुपये मालिकों को दे दी गई। डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों की शिकायत के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जिले में बाईपास पर एक्सप्रेसवे बनाने का काम 2021 में शुरू हुआ था। इसके लिए सड़कें चौड़ी की गईं, जिससे कंस्ट्रक्शन हुआ और बहुत सारे पेड़ प्रभावित हुए। पेड़ों को काटने से पहले फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को उनकी जांच करने का काम सौंपा गया था। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने सिर्फ 93 पेड़ों को कवर किया था।
आरोप है कि फॉरेस्ट डिवीजन क्लर्क उमर मोहम्मद, ड्राइवर नवीन, रिटायर्ड कर्मचारी गजराज सिंह, फॉरेस्ट डिवीजन के कर्मचारी मदनपाल और गोपाल, कंप्यूटर ऑपरेटर आनंद कुमार और पटवारी बिजेंद्र सिंह ने मिलीभगत करके कागज पर पेड़ों की संख्या 768 कर दी ताकि मुआवज़े की रकम बढ़ाई जा सके। उन्होंने वैल्यूएशन रिपोर्ट पर उस समय के डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर के नकली साइन भी किए और ज़मीन मालिक रविंद्र सिंघल के नाम पर पेमेंट कर दिया। हालांकि दूसरे पेड़ों की वैल्यूएशन की ज़िम्मेदारी हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट की थी, लेकिन हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट को बताने के बजाय अधिकारियों ने धोखाधड़ी की।
धोखाधड़ी का पता चलने पर डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट ऑफिसर ने 24 अगस्त, 2022 को जांच शुरू की। मामला हाई कोर्ट पहुंचा और सेक्टर-17 थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। बिजेंद्र पटवारी, सुभाष पटवारी, इंस्पेक्टर हेमराज, क्लर्क उमर मोहम्मद और रविंद्र सिंघल को धोखाधड़ी वाला लेटर जारी करने में शामिल पाया गया है। उनके खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। सेक्टर 17 थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है। जांच क्लास IV और दूसरे कर्मचारियों तक भी बढ़ाई जा सकती है।

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