संगीत के सुरों से नारी को सशक्त कर रहीं अंजू मुंजाल
भाषाई सीमाओं और जाति-वर्ण भेद से परे अपने मौलिक सिद्धांतों के चलते संगीत एक ऐसी विधा है, जो देश की सांस्कृतिक एवं बौद्धिक परंपराओं की सुरों के जरिए पहचान तो कराती ही है, साथ ही इंसान को सुख-दुख की घड़ी में भी सुकून प्रदान करता है और इसी विधा की बदौलत शहर की नारियों को सशक्त कर रही हैं संगीत गुरू डॉ.अंजू मुंजाल।
सुशील भाटिया, फरीदाबाद : भाषाई सीमाओं और जाति-वर्ण भेद से परे अपने मौलिक सिद्धांतों के चलते संगीत एक ऐसी विधा है, जो देश की सांस्कृतिक एवं बौद्धिक परंपराओं की सुरों के जरिए पहचान तो कराती ही है, साथ ही इंसान को सुख-दुख की घड़ी में भी सुकून प्रदान करता है और इसी विधा की बदौलत शहर की नारियों को सशक्त कर रही हैं संगीत गुरु डॉ.अंजू मुंजाल।
सुर-संगीत की साधना में हृदय से तल्लीन डॉ.अंजू मुंजाल शहर में बच्चों में साज और आवाज के हुनर को तराश कर अपनी काबिलियत से सजा संवार कर नई पहचान दे रही हैं। संगीत की विधा से बच्चों को रूबरू कराने का सफर डॉ.अंजू मुंजाल ने तीन दशक पूर्व स्वर साधना मंदिर सेक्टर-9 से शुरू किया था और आज भी वो सफर अनवरत उसी शिद्दत से जारी है। त्याग, समर्पण, साधना से भरी युवाओं में ऊर्जा
डॉ.अंजू मुंजाल ने संगीत की पहली शिक्षा अपने पिता ईश्वर अरोड़ा व माता राजकुमारी अरोड़ा से ली, बेटी में संगीत के प्रति लगन को देखते हुए फिर उन्हें पंडित सोमनाथ शर्मा, पंडित मो¨हद्र सरीन और पंडित विनय चंद्र मोदगिल से विधिवत शिक्षा दिलाई। इसके बाद चौधरी चरण ¨सह यूनिवर्सिटी से संगीत में एमए, प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से वोकल में प्रभाकर व प्रवीण, सितार में प्रभाकर करने के साथ-साथ उन्होंने त्याग, समर्पण और साधना के जरिए संगीत में रुचि रखने वाले युवाओं में ऐसा पुट भरा कि आज उनसे प्रशिक्षित युवा शहर के विभिन्न स्कूलों में संगीत शिक्षक के रूप सफलता पूर्वक आजीविका भी कमा रहे हैं। इनमें नुपूर, प्रीतपाल कौर, आयुषी, निशि अरोड़ा, करिश्मा अग्रवाल, चांदना जैन, गौरी, अंबिका, सुमन, मृणालिनी, शिवांगी के साथ-साथ रितेश, चेतन शर्मा, राकेश, अमित, मनीष, राहुल प्रमुख हैं। विभिन्न टीवी चैनलों तक पहुंची धमक
संगीत ने डॉ.अंजू को पूरे दिल्ली-एनसीआर में इतना सशक्त किया कि उनका चयन अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक आदान-प्रदान योजना के तहत लंदन के लिए हुआ और भारतीय संगीत दूत के रूप में अपनी प्रस्तुति सात समंदर पार देने का गौरव हासिल किया। उनसे प्रशिक्षित हिमानी कपूर जी टीवी के विश्व विख्यात गायन शो सारेगामापा में उपविजेता बनी। हिमानी ने बाद में फिल्म ¨चगारी में सुष्मिता सेन के ठुमरी, अनुष्का शर्मा अभिनीत फिल्म बैंड बाजा बारात और गुड ब्वाय बैड ब्वाय के लिए गीत गाए। हिमानी के चयन ने डॉ.अंजू के अन्य शिष्यों को प्रेरित किया और उसके बाद तजेंद्र ¨सह को स्टार प्लस पर प्रसारित संगीत शो सुपर स्टार का महामुकाबला, जीटीवी के सारेगामापा में और इंडिया गॉट चैलेंज, सोनी टीवी के इंडियन आइडल में भाग लेने का मौका मिला। अभिषेक त्यागी जी-जागरण चैनल पर प्रसारित खोज एक सुपर गायक की में उपविजेता बने। शिवानी ¨सह संगम कला ग्रुप के टैलेंट हंट राष्ट्रीय स्तर की संगीत प्रतियोगिता में गैर फिल्मी श्रेणी में उपविजेता बनी, वहीं 2012 में इसी प्रतियोगिता में अनुष्का ने द्वितीय उपविजेता बनने का गौरव हासिल किया। संगम कला ग्रुप ने राष्ट्रीय प्रतियोगिता में किया था पुरस्कृत
देश को सोनू निगम, श्रेया घोषाल जैसे कई ख्याति प्राप्त गायक देने वाली संस्था संगम कला ग्रुप की निर्णायक मंडल की सक्रिय सदस्य भी हैं डॉ.मुंजाल। संगीत के उनके योगदान को देखते हुए संगम कला ग्रुप ने दिल्ली के सीरीफोर्ट सभागार में राष्ट्रीय प्रतियोगिता के दौरान सर्वश्रेष्ठ संगीत शिक्षिका का अवार्ड देकर पुरस्कृत किया था। स्पिक मैके की समन्वयक डॉ.अंजू की स्वयं की बड़ी उपलब्धि तब सामने आई, जब इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम दिल्ली में 2015 में 200 बच्चों के ग्रुप द्वारा गाए गीत को लिखा, कंपोज्ड किया और फिर निर्देशत किया। दैनिक जागरण को दी हर समय सेवाएं
आचार-व्यवहार से मधुर भाषी, वार्तालाप के दौरान हर समय चेहरे पर मुस्कान लिए डॉ.मुंजाल शहर की प्रसिद्ध सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं में भजनों व सांस्कृतिक प्रस्तुति देने के लिए पहली पसंद होती हैं और इन कार्यक्रमों में डॉ.अंजू की प्रस्तुति निस्वार्थ व निश्शुल्क होती है। दैनिक जागरण द्वारा समय-समय पर जो भी आयोजन किए जाते हैं, उनमें गीत-संगीत की जरूरत होती है, तो डॉ.अंजू मुंजाल अपने शिष्यों संग सुरों की महफिल सजाने के लिए हमेशा उपलब्ध रहती हैं। उनकी इस नि:स्वार्थ सेवा के लिए विभिन्न संस्थाएं सम्मान व अवार्ड से नवाज चुकी हैं। मैंने अपने गुरुओं, विद्वानों से जो कुछ सीखा, उसे मुक्त हस्त से दान करने का प्रण लिया है। यह विद्या अपने तक सीमित रखने की कभी कोशिश नहीं की, जो भी सीखने की इच्छा लेकर आया, कोशिश की कि वो कुछ बन कर ही जाए। यही मेरी प्रतिफल है। और संगीत के इस यज्ञ में मुझे अपने जीवन के हमसफर टीसी मुंजाल का भी बखूबी सहयोग मिल रहा है, उनके सहयोग के बिना शायद मैं सशक्त न हो पाती।
-डॉ.अंजू मुंजाल
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