Al Falah University: जमीन अधिग्रहण और निर्माण के नियमों का उल्लंघन, खेतों के रास्तों पर किया कब्जा
फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पर जमीन अधिग्रहण और निर्माण नियमों के उल्लंघन के आरोप लगे हैं। राजस्व विभाग ने जांच शुरू कर दी है। ग्रामीणों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी चांसलर ने खेतों के रास्तों पर कब्जा कर किसानों को जमीन बेचने पर मजबूर किया। यूनिवर्सिटी की जमीन के नक्शे और निर्माण कार्यों की जांच की जा रही है। यूनिवर्सिटी पर पंचायती जमीन पर कब्जा करने का भी आरोप है।

अल फलाह यूनिवर्सिटी पर जमीन कब्जाने का आरोप।
प्रवीन कौशिक, फरीदाबाद। अल फलाह यूनिवर्सिटी जहां आतंकी साजिश रची जा रही थी, नियमों को दरकिनार कर डाक्टरों की नियुक्ति की गई। अब यूनिवर्सिटी के चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी पर जमीन अधिग्रहण और निर्माण में नियमों को पूरा न करने के आरोप लग रहे हैं। प्रशासनिक अधिकारी भी इस मामले को लेकर हरकत में आ गए हैं।
राजस्व विभाग व नगर योजनाकार एन्फाेर्समेंट विभाग ने जांच शुरू कर दी है। नायब तहसीलदार करण सिंह पटवारियों की टीम के साथ यूनिवर्सिटी गए और जमीन अधिग्रहण से लेकर निर्माण की पूरी जानकारी एकत्रित की।
इस रिपोर्ट का मिलान वह अपने विभाग की रिपोर्ट से करेंगे। साथ ही संबंधित विभागों से भी इससे संबंधित रिपोर्ट मांगी जाएगी। फिर आगामी कार्रवाई होगी।
खेतों के रास्ते में रुकावट पैदा कर की जमीन अधिग्रहण
ग्रामीणों के अनुसार 1990 में यहां गांव की जमीन खरीदने की कवायद शुरू हुई थी। शुरुआत में करीब 30 एकड़ जमीन पर इंजीनियरिंग कालेज शुरू हुआ लेकिन इसके बाद यूनिवर्सिटी के सटी हुई जमीन को खरीदने का सिलसिला शुरू हुआ। इसके लिए इसके चांदसर जवाद अहमद सिद्दीकी ने खूब मनमानी की। आरोप है कि गांव के कई पारंपरिक रास्ते पर कब्जा कर लिया गया। इससे किसानों को अपने खेतों पर पहुंचने में दिक्कत होने लगी।
मालिक का सीधा मकसद दबाव बनाकर किसानों की जमीन की कीमत कम करना था ताकि बाद में किसान जमीन देने के लिए मजबूर हो जाएं। इसमें सिद्दीकी काफी हद तक सफल भी हुआ। इसके बाद यूनिवर्सिटी से सटी हुई जमीन को खरीदने का सिलसिला शुरू हुआ। सिद्दकी ने धौज की 76 एकड़ जमीन खरीद डाली। हालांकि समय-समय पर किसानों की शिकायत पर प्रशासन ने संज्ञान लिया लेकिन राजनीतिक प्रभाव के चलते कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।
यूनिवर्सिटी की जमीन के नक्शा का ब्योरा
यूनिवर्सिटी की 76 एकड़ जमीन के नक्शे के अनुसार मुस्तील नंबर 109-13 में इंजीनियरिंग बिल्डिंग, 14 में वर्कशाप, नौ में मोर्चरी इमारत, 25 नंबर में हास्पिटल इमारत और इसी नंबर और पांच नंबर को मिलाकर गर्ल्स हास्टल बनाया गया है। इससे सटे हुए मुस्तील नंबर 24-2 में बायज हास्टल और इसी नंबर में डायनिंग इमारत है, जहां बैठकर खाना खाते हैं।
चार नंबर में बायज हास्टल की इमारत है। 123-11 और 12 में यहां कार्यरत डाक्टरों की रिहायश के लिए बहुमंजिला इमारत बनी हुई है। 19 नंबर में एनाटाेमी बिल्डिंग, 18-2 में मेडिकल बिल्डिंग है। बाकी यूनिवर्सिटी के दो प्रवेश हैं जो करीब आधा किलोमीटर हैं। प्रवेश करने के साथ ही बड़ा पार्क और प्रशासनिक अधिकारियों की इमारत बनी हुई है।
- 1995 में अल फलाह ट्रस्ट बनाया गया
- 1996 में अल फलाह इन्वेस्टमेंट लिमिटेड शुरू किया गया
- 1997 में अल फलाह इंजीनियरिंग कालेज बना
- 2013 में इंजीनियरिंग कालेज को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की असेसमेंट एडं एक्रेडिटेशन काउंसिल यानी नैक से ए ग्रेड मिला
- मई 2014 में हरियाणा सरकार ने ट्रस्ट की यूनिवर्सिटी को मान्यता दी थी उस समय राज्य में कांग्रेस की सरकार थी
- 2019 में मेडिकल कालेज की शुरुआत हु़
- 40 प्रतिशत अल्संख्यक कोटा फिलहाल यूनिवर्सिटी में
- 1500 विद्यार्थी हैं यूनिवर्सिटी में
- 150 विद्यार्थी हैं कश्मीरी
- 200 से अधिक हैं फैकल्टी
गांव का रास्ता परिसर में मिलाने का आरोप
यूनिवर्सिटी मालिक पर गांव की पंचायती जमीन कब्जाने का आरोप भी धौज गांव की पंचायत ने भी लगाया गया था। यह मामला अदालत तक भी पहुंचा हुआ है। ग्रामीणों द्वारा आरोप लगाया गया था कि टीकरी खेड़ा और धौज गांव के बीच 22 मीटर चौड़ी सड़क के लगभग एक किलोमीटर के हिस्से पर कब्जा कर निर्माण कर लिया है। इस जमीन को यूनिवर्सिटी परिसर में मिलाने का भी आरोप है।
यूनिवर्सिटी की पूरी जमीन का रिकार्ड खंगाल रहे हैं। जमीन अधिग्रहण से लेकर अन्य की रिपोर्ट बनाई जाएगी। किस कीला नंबर में क्या बनाया गया है, उसकी अनुमति ली थी या नहीं। इसकी रिपोर्ट नगर योजनाकार एन्फोर्समेंट द्वारा दी जाएगी। - करण सिंह, नायब तहसीलदार, धौज उप-तहसील

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