वीरों की भूमि है तिगांव
बल्लभगढ़, वरिष्ठ संवाददाता : तिगांव वीरों की भूमि है। यहां के रणबांकुरों ने प्रथम एवं द्वितीय विश्व युद्ध और पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी थी। शहीदों की स्मृति में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जीतगढ़ के नाम से एक स्मारक बनाया गया है। इसके ऊपर अशोक चक्र के साथ-साथ भारतीय संविधान की प्रस्तावना भी अंकित की गई है।
तिगांव का इतिहास : गांव के निवासी लेखराज पाराशर और हरि भारद्वाज नंबरदार का कहना है कि तिगांव का अर्थ है कि यहां तीन गांवों टीडी बनिया, होली वाला (पाराशर) और अधाना मोहल्ला के लोग शामिल है। विक्रमी संवत 1292 में गांव में अधाना गोत्र के गुर्जर और मुस्लिम समाज के लोग साथ-साथ रहते थे। अधाना गोत्र के लोगों ने अपना दबदबा बनाने के लिए नीमका से शेड़राम नागर को गांव में बुला लिया और उसके साथ राजा ने अपनी बेटी जीतकौर की शादी कर दी। नागरों को अधाना आज भी अपने भांजे व धौते मानते हैं। इसलिए दोनों गोत्रों में शादी-विवाह नहीं होते हैं।
गांव का राजनैतिक महत्व : तिगांव की आबादी करीब 25 हजार है, जिसमें 12 हजार मतदाता हैं। गांव की वृद्ध महिलाएं पहले ओढ़ना, कमीज व घाघरा और अब कमीज-सलवार या सूट-सलवार पहनती हैं। पहले वृद्ध पुरुष कुर्ता-धोती-टोपी और अब कुर्ता-पजामा व कमीज-पेंट पहनते हैं। यहां के लोगों का मुख्य पेशा खेतीबाड़ी हैं। साथ ही ग्रामीण अपने बच्चों को सेना में जाने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए यहां के कई युवा सेना में शामिल हैं। गांव के निवासी एवं पूर्व सरपंच धर्मवीर नागर कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने 1977 में कांग्रेस की टिकट पर मेवला महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। उनके पुत्र जेपी नागर युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वे 1989 में फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। वे 2000 में मेवला महाराजपुर क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट पर भी विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।
गांव में सुविधाएं : गांव के निवासी सूबेदार इंद्राज, धर्मवीर नागर व राजू वर्मा का कहना है कि गांव में किसानों की फसल बेचने के लिए अनाज मंडी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, राजकीय स्नातक महाविद्यालय, राजकीय कन्या एवं बाल वरिष्ठ माध्यमिक, राजकीय कन्या एवं बाल प्राथमिक विद्यालय भी हैं। गांव की गलियां अभी कच्ची हैं। हालांकि सरकार से विकास कार्यो के लिए काफी पैसा मिलता है, लेकिन पंचायत विकास पूरा नहीं करा पा रही है। गांव में हरियाली तीज पर सावन के महीने दंगल सदियों से लगता आ रहा है। गांव के आने-जाने के लिए आसपास के सभी गांवों तथा बल्लभगढ़-फरीदाबाद के लिए सड़कें बनाई गई हैं। आने-जाने के लिए बसों के साथ-साथ तिपहिया चलते हैं।
युद्धों में दी हैं कुर्बानियां : प्रथम विश्व युद्ध में गांव के 148 लोगों ने भाग लिया था। इनमें 37 वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनकी स्मृति में जीतगढ़ स्मारक बनाया गया है। द्वितीय विश्व युद्ध में 12 सितंबर 1945 को ओम प्रकाश पुत्र सेवाराम सूबेदार व अन्य वीरों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया। पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाइयों में भी कई सैनिक शहीद हुए हैं। जब भी कोई बड़ा राजनेता तिगांव में आता है तो वह शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस स्मारक पर जाता है।
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