कटु नहीं, मीठे वचन बोलने चाहिए : सविता
धतीर, (पलवल), संवाद सहयोगी :
वैदिक विदुषी कुमारी सविता शास्त्री ने आर्य समाज धतीर के तत्वावधान में आयोजित वेद कथा सप्ताह में कहा कि वाणी के चार दोष कटु वचन बोलना, झूठ बोलना, चुगली करना एवं व्यर्थ बोलना है। हमें इन दोषों से दूर रहकर मीठा व कल्याणकारी सत्य बोलना चाहिए। कटु वचन बोलने से मनुष्य को जो आघात पहुंचता है, उसे मनुष्य जीवन भर याद रखता है। लाठी, तलवार का घाव भर जाता है, परंतु कटु वचन का घाव नहीं भरता।
कुमारी सविता ने कहा कि कटु वचन बोलने वाले मनुष्य की वाणी को परमात्मा अगले जन्म में छीन लेता है। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ व दुष्ट कर्म जवानी में होते हैं। युवाओं को दुष्ट कर्मो से दूर रहकर श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। इससे उनका बुढ़ापा भी सुधर जाएगा। उन्होंने कहा कि बाल्य अवस्था में बालक के संस्कार अति उत्तम बनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद ने संस्कार विधि में जिन 16 संस्कारों पर जोर दिया है, वे संस्कार सभी को कराने चाहिए।
उन्होंने कहा कि जितने भी महान पुरुष व बलिदानी हुए हैं, उन सभी ने जवानी में ही महान व यशस्वी कर्म करके दिखाए हैं। इस अवसर पर राधे लाल आर्य, दयाचंद, अभयदेव शर्मा, योगेश कुमार, नरेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, राम शरण, कुमरपाल, जगदीश चंद, सुभाष चंद, सुदेश बीर, सुमेर चंद, वीरपाल, अशोक कुमार, मुरारी लाल, देवी सिंह डागर, रतन देव, मंदीप, रामबीर, डा. महीपाल, बलवंत शास्त्री, कमल मौजूद थे।
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