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    प्रत्यारोपित कृत्रिम जीभ भी बोलने में होगी सहायक

    By Edited By:
    Updated: Wed, 23 Nov 2016 01:02 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : गुर्दा और शरीर के अन्य मानव अंगों के प्रत्यारोपण के बाद अब शहर में ऑपरेश

    जागरण संवाददाता, फरीदाबाद : गुर्दा और शरीर के अन्य मानव अंगों के प्रत्यारोपण के बाद अब शहर में ऑपरेशन कर जीभ का प्रत्यारोपण भी शुरू हो गया है। एस्कॉ‌र्ट्स फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने मुंह के कैंसर से पीड़ित मरीज का ऑपरेशन कर जीभ का प्रत्यारोपण किया है। डॉक्टर ने मरीज की खराब हो चुकी जीभ और जबड़े को काटकर निकालने के बाद जांघ के मांस से बनी कृत्रिम जीभ की मदद से अब मरीज बोल भी पा रहा है। इस सफल ऑपरेशन के बाद अब डॉक्टर अब गले के कैंसर से पीड़ित एक अन्य मरीज के टीईपी प्रोसेसर (आवाज की पेटी) का ऑपरेशन करने जा रहे हैं।

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    एस्कॉ‌र्ट्स फोर्टिस अस्पताल के ऑन्कलॉजी सर्जन डॉ. नितिन ¨सघल ने बताया कि फरीदाबाद निवासी 60 वर्षीय एक व्यक्ति करीब सात महीने पहले मुंह के कैंसर की चपेट में आ गया था। मरीज ने कई अस्पतालों में जांच करवाई। अन्य अस्पतालों के डॉक्टर उनका जबड़ा निकालने की बात कह रहे थे। जबड़ा निकले के बाद मुंह टेढ़ा होने के डर से मरीज ने वहां ऑपरेशन नहीं करवाया और उनके पास पहुंचा। उन्होंने जांच करवाई तो उन्हें जबड़े को बचाने की संभावना नजर आई। जिसके बाद उन्होंने इस जटिल ऑपरेशन को करने का फैसला लिया।

    करीब 14 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद उन्होंने मरीज के जबड़े के इस तरह काट कर निकाला कि चेहरा न बिगड़े। साथ ही कैंसरग्रस्त जीभ को भी काट कर निकाल दिया गया था। उनके बाद अस्पताल के डॉ. सुरेंद्र चावला ने जांघ के मांस से कृत्रिम जीभ तैयार कर मरीज के मुंह में इंप्लांट कर दी। डॉ. ¨सघल ने बताया कि ऑपरेशन के दो दिन बाद मरीज ने मुंह से पानी पीना शुरू कर दिया था। पांचवें दिन से मरीज ने तरल भोजन लेना शुरू कर दिया।

    अब मरीज करीब पूरी तरह स्वस्थ्य है। वह फिलहाल नरम भोजन कर सकता है। जीभ काटे जाने के कारण मरीज स्वाद की पहचान नहीं कर सकता है। जीभ का मामूली सा हिस्सा बचा होने के कारण उसे सिर्फ कड़वी चीज का ही पता चल सकता है। कृत्रिम जीभ के कारण मरीज मामूली रूप से बोल सकता है। मरीज का बोला हुआ सामने वाले को समझ आ जाता है।

    इस पद्धति से ऑपरेशन करने पर मरीज की जान तो बचती ही है। साथ ही चेहरा भी टेढ़ा नहीं होता। डॉ. ¨सघल ने कहा कि गले के कैंसर के ऑपरेशन के बाद अक्सर मरीज की आवाज चली जाती है। आज गले के कैंसर के ऑपरेशन के बाद भी मरीज सही तरीके से बोल सकता है। इसके लिए उनकी आवाज की पेटी का ऑपरेशन किया जाता है। भोजन की नली की हवा के माध्यम से मरीज को आवाज प्रदान की जाती है।