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    लोकमंगल की प्रेरणा ही है शिवत्व

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    Updated: Fri, 31 Jul 2015 05:52 PM (IST)

    शिव का अर्थ कल्याणकारी यानी हितैषी है। शिव का संपूर्ण व्यक्तित्व और कृतित्व हमें लोक मंगल की प्रेरणा ...और पढ़ें

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    शिव का अर्थ कल्याणकारी यानी हितैषी है। शिव का संपूर्ण व्यक्तित्व और कृतित्व हमें लोक मंगल की प्रेरणा देता है। इसी का दूसरा नाम शिवत्व है। शिव तत्व समष्टिगत भावना से ओतप्रोत है। यदि हम आदिकाल से लेकर आज तक शिव के स्वरूप पर विचार करें तो शिव वह सृष्टि का निर्माणकर्ता और कल्याणकर्ता व्यक्तित्व है, जो सारे संसार को अमृत पान करा कर स्वयं विषपान करता है। भगवान शिव के व्यक्तित्व क साथ सर्प, शमशान तथा शमशान की राख जितने भी तत्व जुड़े हुए हैं, ये सब निर्माण, जनकल्याण और लोक मंगल की कामना के प्रतीक हैं। असर में लौकिक ²ष्टि से वही व्यक्ति अपने जीवन में सफल हो पाता है, जो भगवान शिव की भांति नाना प्रकार के विरोधाभासों को आत्मसात करके जन कल्याण की कामना करता है। शिव तत्व के साथ-साथ शिव की शक्ति का भी महत्व अविस्मरणीय है। हम अपने जीवन की दिनचर्या में शिव तत्व की इसी व्याख्या को अवतरित करके अपना तथा अपने लोक परलोक का कल्याण कर सकते हैं। एक महत्वपूर्ण बात समझने योग्य यह भी है कि शिव का स्वरूप हमें विपरीत परिस्थितियों में भी धैर्य के साथ सामंजस्य बनाए रखने की सीख देता है। शिव की गले में सर्प यानी विष है, जो मृत्यु का परियायक है तो जटाओं से निकलती गंगा जीवनदायिनी है। ऐसे में सावन के इस पावन महीने में हमें प्रेरणा लेनी चाहिए कि हम तमाम विरोधों के बाद भी संयम के साथ जीवन जीएं और जनकल्याण की सोच के साथ आगे बढ़ते जाएं।

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    -बृजांशु महाराज, सूरजकुंड रोड स्थित आश्रम।