कपास में हरा तेला व सफेद मक्खी का प्रकोप
संवाद सहयोगी, पलवल : वर्षा न होने से जिले में हजारों एकड़ में खड़ी कपास की फसल में हरा तेला (एक प्रकार का कीड़ा) व सफेद मक्खी कीटों ने अपना आक्रमण शुरू कर दिया है। विशेषकर कपास की बीटी हाइब्रिड किस्म में इन कीटों का ज्यादा प्रकोप है। मौसम शुष्क होने के कारण फसलों की बिजाई तथा बिजाई की गई फसलों की बढ़वार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
कृषि विशेषज्ञों ने भी गांवों का दौरा कर फसलों में लगी बीमारियों व कीटों का निरीक्षण किया है। विशेषज्ञों ने कीट व बीमारियों से निपटने के लिए किसानों को उपाय भी बताए हैं, लेकिन मौसम की मार के सामने दवाइयां भी ज्यादा असर नहीं कर रही हैं। जिले के बेढ़ा, खिरबी, सेवली, भूपगढ़, दीघोट जैसे गांवों में बीटी कपास में रस चूसक कीट हरा तेला व सफेद मक्खी के अलावा पत्ती मरोड़ रोग का भी प्रकोप है। यदि इन कीटों का इसी प्रकार प्रकोप रहा तो किसानों को काफी नुकसान होगा।
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कीटनाशक दवाओं से करें रोकथाम
किसान 30 पत्तों का निरीक्षण करके देखें, यदि हरा तेला दो शिशु प्रति पत्ता तथा सफेद मक्खी छह प्रौढ़ प्रति पत्ता दिखाई दे तथा पत्तियां किनारों से पीली पड़कर मुड़ने लगे तो कीटनाशक दवाओं को अवश्य छिड़कें। इसके लिए 300 मिली रोगोर 30 ईसी या 400 मिली मैटासिस्टोक्स 25 ईसी या एमिडोक्लोपरिड 200 एसएल 40 मिली या थायामीथोक्साम 25 धुपा दाने 40 ग्राम में से किसी एक कीटनाशक का 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़कें। दूसरा छिड़काव दवाई बदलकर 10 दिन बाद करें। छिड़काव के लिए स्प्रे पंप नया हो या उसे अच्छी प्रकार साफ कर लें। दवाओं के साथ ढाई प्रतिशत यूरिया मिलाकर छिड़कने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। खरपतवारों को भी खेत से निकाल दें।
-डा.महावीर मलिक, कृषि विशेषज्ञ।
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