हरियाणा की असली पहचान उसकी संस्कृति, खान-पान और वेशभूषा है: डा. जनार्धन शर्मा
हरियाणा की लोक कला एवं संस्कृति विश्व में सबसे अनूठी एवं निराली है। हरियाणा की असली पहच
हरियाणा की लोक कला एवं संस्कृति विश्व में सबसे अनूठी एवं निराली है। हरियाणा की असली पहचान उसकी लोक संस्कृति, खान-पान एवं वेशभूषा है। ये विचार मदवि के युवा कल्याण विभाग के निर्देशक एवं प्रसिद्ध हरियाणवी कलाकार डा. जनार्धन शर्मा ने चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में जागृति विषय पर आयोजित ऑनलाइन विशेष व्याख्यान में बतौर मुख्यातिथि संबोधित करते हुए कहे।
उन्होंनें कहा कि हरियाणवीं संस्कृति हमें अपने पन का आभास कराती है। हमारी संस्कृति हमारे रोम में बसती है इस पर प्रत्येक हरियाणवी को गर्व है। हरियाणा ने प्रत्येक क्षेत्र में देश का नाम रोशन किया है और राष्ट्र के विकास में हरियाणा प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है। हरियाणवीं खेल, संस्कृति एवं वेशभूषा का अनूठा संगम है। इसे बचाये रखना और इसके विकास में प्रत्येक हरियाणवी को अपना योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा हमें हमारी हरियाणवी लोक संस्कृति एवं कला को अगली पीढ़ी को विरासत में देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हरियाणवी कई फिल्मों ने अपना परचम लहराया है उनमें चंद्रावल, लाडो इसके उदाहरण हैं। उन्होंने कहा सरकार और हरियाणवी लोक संस्कृति एवं कला प्रेमी मिलकर हरियाणवी सिनेमा को प्रोत्साहित करने एवं विकसित करने को प्रयासरत हैं जिसके भविष्य में सार्थक परिणाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि सांग हमारी हरियाणवी लोक संस्कृति की प्राचीन धरोहर हैं। उन्होंने पंडित लख्मीचंद, मांगेराम, चन्द्रवादी, धनपत आदि महान कलाकारों पर विचार रखे। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. जितेन्द्र भारद्वाज ने मुख्यातिथि का विश्वविद्यालय परिवार की ओर से स्वागत एवं धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक गतिविधियों में सहभागिता से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास होता है। युवाओं को हरियाणवी लोक कला एवं संस्कृति में विशेष रूचि लेकर इसके प्रचार प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान देना चाहिए।
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