Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    द्विवेदी युग का नामकरण हो माधव मिश्र युग : आचार्य मिश्र

    जागरण संवाददाता, भिवानी : हिंदी साहित्य के द्विवेदी युग का फिर से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

    By JagranEdited By: Updated: Thu, 27 Sep 2018 06:49 PM (IST)
    द्विवेदी युग का नामकरण हो माधव मिश्र युग : आचार्य मिश्र

    जागरण संवाददाता, भिवानी : हिंदी साहित्य के द्विवेदी युग का फिर से मूल्यांकन किया जाना चाहिए। हिन्दी के रामचन्द्र शुक्ल जैसे समालोचकों ने क्षेत्रीय भेदभाव के कारण माधव प्रसाद मिश्र के साहित्य की उचित समालोचना नहीं की। उनको वास्तविक सम्मान नहीं दिलाने दिया। हिन्दी के प्रथम मौलिक कहानीकार पंडित माधव प्रसाद मिश्र को आज तक सरकार ने उचित सम्मान नहीं दिया। हरियाणा के गौरव को बढ़ाने वाले साहित्यकार को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए। ये मांग हरियाणा प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन के महामंत्री आचार्य रमेश मिश्र ने हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से स्थानीय गोशाला मार्केट रोड स्थित श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित पंडित माधव प्रसाद मिश्र जयंती में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि माधव मिश्र ने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध अपनी लेखनी के माध्यम से आंदोलन का बिगुल बजाया था। तत्कालीन समय में मिश्र जी ने न केवल अंग्रेजी शासन का विरोध किया अपितु समाज में व्याप्त कुरीतियों पर भी अपनी लेखनी के माध्यम से प्रहार किया। तत्कालीन समय में हरियाणा के

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भिवानी जैसे उजड़ ग्राम में रहने वाले ने हिन्दी में प्रभाव पूर्ण लेखन का कार्य किया। समारोह के विशिष्ट अतिथि कामरेड बलबीर शर्मा ने कहा कि सरकार को माधव प्रसाद मिश्र जैसे साहित्यकारों को अधिक से अधिक सम्मान देना चाहिए। विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रमों में अधिक से अधिक माधव प्रसाद मिश्र के साहित्यों को छात्रों को पढ़ाना चाहिए। जिससे कि छात्रों को उनके विषय में अधिक जानकारी मिलती रहे। समारोह को संबोधित करते हुए प्राचार्य विनय मिश्र ने कहा देश के हिन्दी साहित्य में माधव प्रसाद मिश्र का योगदान किसी से भी कम नहीं हैं। उनके साहित्य में आम आदमी की पीड़ा का वर्णन प्राप्त होता हैं। लड़की की बहादुरी कहानी जो कि हिन्दी साहित्य की प्रथम मौलिक कहानी हैं। इस कहानी में मिश्र जी ने तत्कालीन समाज की

    कुरीतियों का वर्णन किया है। इस अवसर पर मिश्र जी के फोटो पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धासुमन अर्पित किए। समारोह का उद्घाटन प्रमुख

    समाजसेवी सुभाष सौपर्णा ने ज्योति प्रज्जवलित करके किया। इस अवसर पर मुकेश गुप्ता, रामदीन चौधरी, हनुमान भारद्वाज, मनोज शर्मा राहुल शर्मा, अरूण गुप्ता, दीपक यादव, हरीश सैनी आदि उपस्थित थे।