बेरोजगारी की मार झेल रहे बर्खास्त पीटीआइ की आर्थिक व मानसिक दशा हुई दयनीय : रामचंद्र
बहाली की मांग को लेकर बर्खास्त पीटीआइ का धरना 743वें दिन भी रहा जारी ...और पढ़ें

- बहाली की मांग को लेकर बर्खास्त पीटीआइ का धरना 743वें दिन भी रहा जारी जागरण संवाददाता, भिवानी: पिछले दो वर्षों से बेरोजगारी की मार झेल रहे बर्खास्त पीटीआइ की आर्थिक दशा इतनी दयनीय हो चुकी है कि अब उनके घर में खाने के भी लाले पड़ने लगे हैं। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह बर्खास्त पीटीआइ की बहाली कर उन्हें बेरोजगारी की दलदल से बाहर निकाले। यह बात लघु सचिवालय के समक्ष धरने पर बैठे बर्खास्त पीटीआइ को संबोधित करते हुए रामचंद्र पूनिया ने कही।
रामचंद्र पूनिया ने कहा कि प्रदेश सरकार एक तरफ तो बेरोजगारी कम करने की बात कहती है, लेकिन दूसरी तरफ पहले से रोजगार कर रहे लोगों को घर बैठाकर स्वयं ही बेरोजगारी दर बढ़ाने में लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि लंबे समय से बेरोजगारी की मार झेलते हुए बर्खास्त पीटीआइ आर्थिक व मानसिक तनाव के चलते असामयिक मौत का शिकार भी हो चुके हैं। लेकिन फिर भी प्रदेश सरकार बर्खास्त पीटीआइ की बहाल की ओर कोई कदम नहीं बढ़ा रही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने 1983 पीटीआइ को बिना किसी गलती के स्कूलों से बाहर का रास्ता दिखा दिया, जिसके बाद से ही पीटीआइ आर्थिक मोर्चे पर बड़ी परेशानियां सहन कर रहे हैं। मंगलवार को क्रमिक अनशन पर मदनलाल सरोहा, सतीश प्रहलादगढ़, राजेश कितलाना, सुनील हालुवास रहे। इस अवसर पर जिला प्रधान सोमदत्त शर्मा, महासचिव विनोद पिकू, राजेश संभ्रवाल, अजीत राठी, संजय भारद्वाज, कपूर सिंह, हरीश गोच्छी, सुरेंद्र सिंह, सुनील जांगड़ा, राजेश बंसल, जिले सिंह, दीपक हांसी सहित अनेक लोग मौजूद रहे।

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