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    कितलाना टोल पर धरना जारी, किसानों ने फूंकी संपत्ति क्षति वसूली कानून की प्रतियां, की नारेबाजी

    हरियाणा सरकार ने विधानसभा सत्र में संपत्ति क्षति वसूली विधेयक पेश करके उसे कानून का दर्जा महज किसान आंदोलन को दबाने के उद्देश्य से दिया है लेकिन सरकार अपने मकसद में कामयाब नहीं होगी।

    By JagranEdited By: Updated: Fri, 09 Apr 2021 06:15 AM (IST)
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    कितलाना टोल पर धरना जारी, किसानों ने फूंकी संपत्ति क्षति वसूली कानून की प्रतियां, की नारेबाजी

    जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : हरियाणा सरकार ने विधानसभा सत्र में संपत्ति क्षति वसूली विधेयक पेश करके उसे कानून का दर्जा महज किसान आंदोलन को दबाने के उद्देश्य से दिया है, लेकिन सरकार अपने मकसद में कामयाब नहीं होगी। यह बात वीरवार को किसान नेताओं ने कितलाना टोल पर धरने को संबोधित करते हुए कही। इस दौरान उन्होंने संपत्ति क्षति वसूली कानून की प्रतियां भी जलाई। किसान नेताओं ने कहा कि कोरोना काल में भी देश की गिरती अर्थ व्यवस्था को किसानों ने ही संभाला था। ऐसे में जब आंदोलन अपनी चरम सीमा है उस समय ये कानून बनाने से खट्टर सरकार की किसानों के प्रति निम्न स्तर की सोच उजागर हो गई है। कानून की प्रतियां जलाते हुए किसानों ने गठबंधन सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि जनता के सामने महंगाई, बेरोजगारी जैसी भीषण समस्याएं हैं। सरकार की शोषणकारी व्यवस्था ने आम जनजीवन को नारकीय बना दिया है। यही वजह है कि देश की जनता सड़कों पर है और सभी वर्ग पूरी मुस्तैदी से जनांदोलन में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और हरियाणा की सरकार जनता के हौंसले को तोड़ने का असफल प्रयास कर रही हैं। 105 वें दिन भी धरना रहा जारी

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    कितलाना टोल पर चल रहे धरने के 105वें दिन खाप सांगवान सचिव नरसिंह डीपीई, बिजेंद्र बेरला, मा. शेरसिंह, गंगाराम श्योराण, रतन जिदल, राजसिंह जताई, राजेश कुमारी, बीरमति डोहकी, बिमला, अनोखी मंदौली ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि संपत्ति क्षति वसूली कानून के अंतर्गत पुलिस के हाथों में शक्ति का केंद्रीकरण कर दिया गया है। पुलिस इस कानून के तहत जांच एजेंसी के साथ शिकायतकर्ता भी है जो न्याय के बुनियादी उसूलों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इस कानून से आम जनता में भारी रोष है। ये रहे मौजूद

    धरने में मंच संचालन कामरेड ओमप्रकाश ने किया। इस अवसर पर बलबीर बजाड़, सूरजभान सांगवान, राजू मान, धर्मेंद्र छपार, दिलबाग ग्रेवाल, रणधीर घिकाड़ा, कमलेश भैरवी, कृष्ण फौगाट, अजीत सांगवान, प्रो. राजेंद्र डोहकी, मंगल सुई, राजकुमार हड़ौदी, जगदीश हुई, कंवर झोझू, नत्थूराम शर्मा, रामफल देशवाल, जागेराम डीपीई, परमजीत फतेहगढ़, महीपाल आर्य, कप्तान चंदन सिंह, भूपेंद्र पूर्व सरपंच चरखी, ईश्वर, महेंद्र प्रजापति, सूबेदार सत्यवीर भी मौजूद रहे।