स्वतंत्रता आंदोलन में क्रांतिकारी रास बिहारी बोस की भूमिका को किया याद
आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के तहत गांव बिरोहड़ के राजकीय महाविद्यालय में बुधवार को स्नातकोत्तर इतिहास विभाग एवं हरियाणा इतिहास कांग्रेस के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय प्राचार्या डा. अनिता रानी की अध्यक्षता में क्रांतिकारी रास बिहारी बोस के 136 वें जन्मदिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डा. अमरदीप ने कहा कि रास बिहारी बोस बड़े संगठनकारी थे।

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : आजादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के तहत गांव बिरोहड़ के राजकीय महाविद्यालय में बुधवार को स्नातकोत्तर इतिहास विभाग एवं हरियाणा इतिहास कांग्रेस के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय प्राचार्या डा. अनिता रानी की अध्यक्षता में क्रांतिकारी रास बिहारी बोस के 136 वें जन्मदिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के संयोजक डा. अमरदीप ने कहा कि रास बिहारी बोस बड़े संगठनकारी थे। जिन्होंने अंग्रेजों को बाहर निकालने के लिए गदर आंदोलन से लेकर आजाद हिद फौज तक का संगठन संभाला। 25 मई 1886 में बंगाल के बर्धमान में जन्मे बोस ने फ्रांस से चिकित्सा शास्त्र और जर्मनी से इंजीनियरिग की पढ़ाई करने के बाद एक आरामदायक जीवन छोड़कर भारत की आजादी के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। 19 वर्ष की आयु में बंगाल विभाजन के खिलाफ स्वदेशी आंदोलन में कूद पड़े और अरविद घोष और जतिन मुखर्जी के नेतृत्व में युगांतर दल से भी जुड़ गए। 23 दिसंबर 1912 को रास बिहारी बोस ने वायसराय लार्ड होर्डिंग पर बम विस्फोट करके पूरी ब्रिटिश हुकुमत को हिला दिया था और क्रांतिकारी आंदोलन को एक नई ऊंचाई तक ले गए। इसके बाद उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में गदर आंदोलन के माध्यम से 1857 की क्रांति की पुनरावर्ती करने की कोशिश की लेकिन समय से पहले अंग्रेजी सरकार को इसकी भनक लगने से यह योजना सफल नही हो पाई। उन्होंने 1915 में भारत से बाहर जाकर आजादी के लिए संघर्ष करने की ठानी और जापान गए। क्रांतिकारी रास बिहारी का 21 जनवरी 1945 में देहांत हुआ। प्रो. जितेंद्र व पवन कुमार ने भी अपने विचार रखे।
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