21 वर्ष पूर्व हुए विमान हादसे को याद कर कांप उठती है रूह, 349 ने गंवाई थी जान
राकेश प्रधान, चरखी दादरी : 21 वर्ष पूर्व 12 नवंबर 1996 को देर सांय दादरी शहर के ऊपर आ ...और पढ़ें

राकेश प्रधान, चरखी दादरी :
21 वर्ष पूर्व 12 नवंबर 1996 को देर सांय दादरी शहर के ऊपर आसमान में तेज धमाके की आवाज हुई तथा आग के बड़े गोले साथ लगते गांव टिकान कलां के खेतों में गिरने लगे। सर्दी का मौसम होने के बावजूद आग के गोलों को देखने के लिए सैकड़ों लोग उस रोशनी की तरफ बढ़ते रहे लेकिन जब मौके पर पहुंचे तो सबकी रूह कांप गई। खेतों में चारों तरफ दूर-दूर तक सैकड़ों शव क्षत-विक्षत हालत में पड़े थे तथा एक हवाई जहाज के अलग-अलग बिखरे टूकड़ों में आग लगी हुई थी। चंद मिनटों में ही सवारी व मालवाहक विमान के टकराकर दादरी क्षेत्र में गिरने की सूचना प्रदेश के साथ-साथ देशभर में फैल गई थी। तुरंत भारी पुलिस बल व स्थानीय लोग राहत कार्य में जुट गए लेकिन भीषण हादसे में 349 लोगों में से एक को भी ¨जदा नहीं बचा सके। 12 नवंबर की वह भयावह रात आज भी दादरी जिले विशेषकर गांव टिकान कलां, ढाणी फौगाट, खेड़ी सनसनवाल व साथ लगते गांवों के लोग भूल नहीं पा रहे है। हादसे के दूसरे दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगोडा, तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने भी मौके का निरीक्षण किया था। यह हादसा विश्व के दस बड़े हवाई हादसों में दर्ज किया गया था। 12 नवंबर 2016 को सऊदी अरब एयरलाइंस का यात्री विमान बोईंग 763 ने 23 क्रू मेंबर व 289 यात्रियों के साथ दिल्ली से उड़ान भरी थी। वहीं कजाकिस्तान एयरलाइंस का मालवाहक विमान 1907 को 12 क्रू मेंबर व 25 अन्य सदस्यों के साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरना था। सांय 6 बजकर 30 मिनट पर सऊदी अरब का विमान 10 हजार फीट की ऊंचाई पर था जबकि कजाकिस्तान का विमान 23 हजार फीट की ऊंचाई से नीचे उतर रहा था। इस दौरान अचानक दोनों विमान तेज गति से एक दूसरे से टकरा गए थे। जिसमें यात्री विमान गांव टिकान कलां के खेतों व मालवाहक विमान गांव बिरोहड़ की बणी में जा गिरा था।
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छोटा पड़ गया था अस्पताल
एक साथ सैकड़ों शवों को प्रशासन ने तुरंत प्रभाव से दादरी के सरकारी अस्पताल में भिजवाना शुरू कर दिया था। ट्रैक्टर-ट्रालियों, गाड़ियों में भरकर क्षत-विक्षत शव, मांस के लोथड़े अस्पताल में भेजे गए। ऐसे में 349 शवों को रखने के लिए अस्पताल परिसर भी छोटा पड़ गया था।
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भयावह था मंजर
विमान हादसे के बाद मौके व अस्पताल में पहुंचने वाले लोगों ने बताया कि दोनों स्थानों का मंजर इतना भयानक था कि उनकी रूह तक कांप उठी थी। इसके बावजूद उन्होंने पुलिस व प्रशासन की सहायता करते हुए शवों को गाड़ियों में भरना शुरू कर दिया था।
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पायलट खालिद ने भी दम तोड़ा
हादसे के बाद सवारी विमान का पायलट कैप्टन खालिद ¨जदा था। इसका पता चलते ही तुरंत प्राथमिकता के आधार पर एक अधिकारी की गाड़ी में उसे उपचार के लिए सरकारी अस्पताल में भेजा गया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। अस्पताल पहुंचने तक पायलट भी दम तोड़ चुका था।
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नहीं जली भागवत गीता व मोरपंख
विमान हादसे में सब कुछ जलने के बाद भी कुदरत का करिश्मा दिखा था। बुरी तरह झुलस चुके एक यात्री के पास ही श्रीमद् भागवत गीता व मोरपंख मिला लेकिन भयावह आग का इन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।
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प्रधानमंत्री पहुंचे थे मौके पर
विदेश के दो विमानों के भारत में भीषण हादसे के बाद 349 लोगों की मौत होने के कुछ ही घंटों बाद ही दुनियाभर में यह देश की बदनामी का बड़ा कारण बन गया। वैसे हवा में विमानों के टकराने की संभावना महज 0.01 प्रतिशत ही थी। लेकिन इसे बड़ी मानवीय चूक मानी जा रही थी। हादसे के दूसरे ही दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवगौडा व प्रदेश के मुख्यमंत्री बंसीलाल ने मौके पर पहुंचकर हालातों का जायजा लिया था।
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किया गया था झूठा प्रचार
विमान हादसे के बाद भारत के एयर कंट्रोल सिस्टम को पूरी तरह नाकारा बताया जाने लगा था लेकिन बाद में हुई जांच से पता चला था कि कजाकिस्तान एयरलाइंस के पायलट की अंग्रेजी कमजोर होने के कारण यह भीषण हादसा हुआ था। हादसे की जांच अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, जापान सहित सऊदी अरब और कजाकिस्तान के विशेषज्ञों ने भी की। कजाकिस्तान को छोड़ सबकी जांच इसी नतीजे पर पहुंची कि कजाकिस्तान एयरलाइंस के पायलट की अंग्रेजी कमजोर थी। इसलिए वह दिल्ली स्थित एयर ट्रैफिक कंट्रोल द्वारा भेजे गए संदेशों को ठीक से समझ नहीं पाया। उसे विमान जितनी ऊंचाई पर रखने के लिए कहा गया था, उसे वह समझ नहीं पाया और तय ऊंचाई से कई फीट नीचे ले आया। वह विमान जहां उड़ रहा था, उसी सीध में सऊदी अरब का विमान भी गुजरना था। जब तक कोई कुछ समझ पाता, तब तक तो दोनों विमान टकरा चुके थे। दुनियाभर में तब यह झूठ फैलाकर भारत को बदनाम करने की कोशिश भी की गई कि वहां एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम लचर है। हालांकि जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया कि सब झूठ था और जानबूझकर फैलाया गया था।
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मुस्लिम समुदाय से थे अधिकतर
विमान हादसे में जान गंवाने वाले ज्यादातर नागरिक मुस्लिम समुदाय से संबंध रखते थे। ऐसे में प्रदेश सरकार ने उनकी अंतिम क्रिया के लिए स्थानीय प्रशासन को विशेष आदेश दिए थे। प्रशासन ने भी पूरी मुस्तैदी के साथ मुस्लिम समुदाय के मृत लोगों का उनके रीति-रिवाजों के अनुसार दादरी शहर के चिड़िया रोड स्थित क्रबगाह मे सुपुर्द-ए-़खाक किया।
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याद में खोला गया था अस्पताल
यात्री विमान के पायलट कैप्टन खालिद की याद में उनके पिता ने दादरी शहर के घिकाड़ा रोड पर एक अस्पताल भी खोला था। कई वर्षों तक सफल संचालन के बाद अचानक इसे बंद कर दिया गया था।
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रो उठे थे देखने वाले
इस भयानक हादसे में 349 लोगों की जान गई थी जिसका दुख सभी को था लेकिन इन सबके बीच एक मंजर ऐसा भी था कि उसे देखने वाला प्रत्येक व्यक्ति रो पड़ा था। एक मां अपने दूधमुंहे बच्चे को अपने सीने से चिपकाए ही पूरी तरह जल गई। जमीन पर केवल उनकी राख ही बची थी लेकिन उसमें भी स्पष्ट तौर पर मां की ममता दिखाई दे रही थी।

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