पांच विकार स्त्री के और पांच विकार पुरुष के इन दस विकारों का ही नाम रावण है-बीके उर्मिला
संवाद सहयोगी, बहल : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शाखा बहल की ओर से आयोजित त ...और पढ़ें

संवाद सहयोगी, बहल : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शाखा बहल की ओर से आयोजित तीन दिवसीय प्रवचनमाला के अंतिम दिन दशहरा पर्व मनाया गया। गीता विदुषी बीके उर्मिला ने बताया कि पांच विकार स्त्री के और पांच विकार पुरुष के इन दस विकारों का ही नाम रावण है। जो आज सबको रुला रहा है। जबकि प्रेम, मधुरता, नम्रता, शांति का प्रतीक राम है जो सबको रमणीक बनाता है। इसलिए रावण को जलाते हैं और राम को पूजा जाता है। विकार रूपी रावण को जला कर कार्यक्रम की श्रृंखला को सम्पन्न किया जा रहा है। उपस्थित श्रोतागणों को 24 बुराइयां लिखी हुई एक एक पर्ची दी गयी और कहा गया कि जो भी बुराई आप छोड़ना चाहते है। उस पर निशान लगा कर रावण की झोली में डाल दें। ताकि कागज का रावण नहीं अपितु अपने अंदर के रावण जलाया जा सके। श्रीमद्भागवत गीता का सार भी यही है कि हमें बुराइयों के विरुद्ध लड़ना है। वास्तविक रूप से दस विकार यानी दस मनोविकार है जो रावण के दश सीस के रूप में हम हर वर्ष जलाते हैं। कार्यक्रम को 2 दिन के लिए श्रोताओं की रुचि के चलते बढ़ा दिया गया है। श्रीमद्भागवत के प्रवचन अब 21 अक्टूबर किए जाएंगे। कार्यक्रम में केंद्र की संचालिका बीके शकुंतला, सज्जन साबू, महेंद्र साबू, जगदीश साबू, रामकुमार, प्रह्लाद राय चौधरी, बीके अशोक, बीके प्रमोद, बीके पूनम आदि उपस्थित थे।

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