पारंपरिक फसलें छोड़ बागवानी से लाखों रुपये कमा रहे स्नातक पास किसान राजकुमार श्योराण
राजस्थान के बार्डर पर रेतीली बालू माटी के गांव हसनपुर झांझड़ा आसपास क्षेत्र में कुंओं में पानी सूख गया तो क्षेत्र में साल दर साल औसत पैदावार घटती गई। लेकिन प्रगतिशील किसान राजकुमार श्योराण ने निराश होने की बजाय कुछ नया करने का सोचा।

मदन श्योराण, ढिगावा मंडी : राजस्थान के बार्डर पर रेतीली बालू माटी के गांव हसनपुर झांझड़ा आसपास क्षेत्र में कुंओं में पानी सूख गया तो क्षेत्र में साल दर साल औसत पैदावार घटती गई। लेकिन प्रगतिशील किसान राजकुमार श्योराण ने निराश होने की बजाय कुछ नया करने का सोचा। कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि यहां रेतीली बालू माटी और पानी की कमी के बीच बागवानी भी हो सकती है। स्नातक पास राजकुमार श्योराण ऐसे प्रगतिशील किसान हैं जिसने अपनी खेती के तौर-तरीकों में बदलाव करके आज एक सफल मुकाम हासिल कर लिया है। जिस 12 एकड़ भूमि में साल में तीन लाख रुपये की भी आमदनी नहीं होती थी, उसी में इस किसान ने किन्नू, नींबू, संतरा, माल्टा, मौसमी, एप्पल बेर, बेलगिरी, अमरूद, आम, सेब और आडू के हजारों पौधे लगाकर साढ़े आठ से 10 लाख रुपये सालाना कमाने शुरू कर दिए। किसान ने बताया कि अगले साल 20 लाख रुपए तक कमाई का अनुमान है।
12 एकड़ में है बाग
किसान राजकुमार श्योराण ने बताया कि उनके पास 12 एकड़ में किन्नू, नींबू, संतरा, माल्टा, मौसमी, एप्पल बेर, बेलगिरी, अमरूद, आम, सेब और आडू का बाग है। तीन साल पहले लगाए गए पौधे अब फल देने शुरू हो गए हैं। अगले साल 20 लाख रुपए सालाना कमाई का अनुमान लगाया जा रहा है। अबकी बार 30 प्रतिशत पैदा हुई थी, अगली बार यह पैदावार बढ़ कर 90 प्रतिशत तक हो सकती है।
बाग में ड्रिप सिस्टम से होती है सिचाई
किसान राजकुमार ने बताया कि वह साधारण सिचाई के बजाय ड्रिप सिचाई विधि से बाग को पानी देते हैं। ड्रिप सिचाई का प्रयोग सभी फसलों की सिचाई में करते हैं, लेकिन बागवानी में इसका प्रयोग ज्यादा अच्छे से होता है। बिजली का स्त्रोत भी उन्होंने प्राकृतिक अपनाकर सौर ऊर्जा सिस्टम लगा रखा है। इस विधि से 60 से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। इससे ऊंची-नीची जमीन पर सामान्य रुप से पानी पहुंचता है। इसमें सभी पोषक तत्व सीधे पानी से पौधों के जड़ों तक पहुंचाया जाता है तो अतिरिक्त पोषक तत्व बेकार नहीं जाता, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है।
जैविक खाद का करते हैं प्रयोग
किसान ने बताया कि अभी तक पूरी बागवानी जैविक खाद से तैयार की गई है। पिछले तीन साल के दौरान किसी भी प्रकार का कीटनाशक व केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है। इसी कारण फल, सब्जियां व अनाज स्वादिष्ट लग रहे हैं।
बागवानी के साथ सब्जियां व पारंपरिक फसल भी उगाता हैं किसान
किसान ने अपनी 12 एकड़ जमीन पर बाग लगा रखा है लेकिन इनके बीच में मूंग, गेहूं, सरसों, चना, मेथी, कपास, बाजरा आदि पारंपरिक फसलों के साथ-साथ प्याज व अन्य सब्जियों का भी उत्पादन करता है इसके साथ-साथ पशुपालन में हरियाणा की मशहूर नस्ल मुर्रा भैंस व देसी गाय के साथ प्रगतिशील किसान बन गए हैं।
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