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    भिवानी: शिक्षा बोर्ड में ऑनलाइन मार्किंग घोटाला, 70 लाख का नुकसान, विजिलेंस जांच के आदेश

    Updated: Sat, 20 Dec 2025 12:06 PM (IST)

    भिवानी में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की ऑनलाइन मार्किंग में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, जिससे बोर्ड को 70 लाख का नुकसान होने का अनुमान है। बोर्ड ...और पढ़ें

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    हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की ऑनलाइन मार्किंग में घोटाला। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, भिवानी। भिवानी में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की ऑनलाइन मार्किंग में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। दावा किया गया है कि टेंडर प्रक्रिया और पेमेंट में धांधली के चलते बोर्ड को करीब 70 लाख का नुकसान हुआ है। बोर्ड के चेयरमैन डा. पवन कुमार का ने 2023-24 की री-अपीयर परीक्षाओं में अपनाई गई आनलाइन मार्किंग प्रक्रिया पर सवाल उठाते विजिलेंस जांच की मांग की है। उन्होंने कहा है कि पूर्व चेयरमैन डा. वीपी यादव ने आनलाइन मार्किंग के नाम पर बोर्ड को लाखों रुपये का चूना लगाया है। 

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    ऑनलाइन मार्किंग में पाई गई अनियमितता

    बोर्ड चेयरमैन का कहना है कि बोर्ड आफ डायरेक्टर ने अपनी स्टडी में अनियमितताएं पाई है। इसमें पाया गया है कि एजेंसी को बहुत ज्यादा रेट में टेंडर दिया गया। जिस एजेंसी को दिया गया वह एल वन भी नहीं थी। इस टेंडर की डोक्यूमेंट प्रक्रिया में कमेटी सदस्यों के हस्ताक्षर भी नहीं है। पेमेंट में भी सचिव, डिप्टी सेक्रेटरी या ज्वाइंट सेक्रेटरी किसी के साइन नहीं है। तत्कालीन चेयरमैन ने अपने स्तर पर ही इसे पूरा कर दिया।

    एक उत्तरपुस्तिका की जांच पर ₹70 का खर्च

    डा. पवन कुमार ने बताया कि आनलाइन मार्किंग प्रक्रिया के तहत 10वीं और 12वीं की करीब एक लाख उत्तर पुस्तिकाओं की मार्किंग करवाई गई। एक उत्तर पुस्तिका की मैन्युअल तरीके से जांच के लिए बोर्ड शिक्षकों को 15 रुपये देता है।

    आरोप है कि एक पेज की एक साइड को स्केन करने के लिए एजेंसी को 1.34 रुपये दिए गए। एक उत्तरपुस्तिका में 32 से 34 पेज होते हैं। औसतन 45-46 रुपये एक उत्तरपुस्तिका की स्केनिंग पर खर्च हुआ। इसके बाद एग्जामिनर को 15 रुपये प्रति उत्तरपुस्तिका दिए गए। जीएसटी चार्ज लगा वह अलग। एक उत्तरपुस्तिका की जांच पर 70 रुपये से अधिक का खर्च आया। एक लाख उत्तरपुस्तिकाओं के लिए 70 लाख का भुगतान किया गया।

    पूर्व चेयरमैन ने आरोपों को बताया निराधार 

    वहीं पूर्व चेयरमैन ने आरोपों को निराधार बताया और कहा कि डिजिटल मार्किंग बोर्ड के नियमों के अनुसार की गई थी। टेंडर प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं थी और पेमेंट भी आडिट विभाग की अप्रूवल के बाद नियमानुसार की गई।