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    खेत खलिहान : जैविक खेती के लिए जैविक खादों में से एक विकल्प है हरी खाद

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 16 Jun 2020 05:04 AM (IST)

    मदन श्योराण ढिगावा मंडी जैविक खेती के लिए आमतौर पर कूड़े के ढेर की खाद बायोगैस प्ला ...और पढ़ें

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    खेत खलिहान : जैविक खेती के लिए जैविक खादों में से एक विकल्प है हरी खाद

    मदन श्योराण, ढिगावा मंडी : जैविक खेती के लिए आमतौर पर कूड़े के ढेर की खाद, बायोगैस प्लांट की खाद, कंपोस्ट खाद, केंचुआ खाद के प्रयोग के सिवाय अगर बहुत अच्छा कोई विकल्प है तो वह है हरी खाद। हरी खादों में ग्वार, मूंग, लोबिया, सेंजी तथा ढांचा मुख्य रूप से प्रयोग में लिए जा सकते हैं। रबी फसल की कटाई के बाद जब भूमि लगभग 2 महीने खाली रहती है तब हरी खाद की फसलें ली जा सकती है।

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    हरी खादों में सबसे बेहतर विकल्प के रूप में ढैंचा (जंतर) का प्रयोग किया जा सकता है और इसी कड़ी में उपमंडल लोहारू में 500 एकड़ भूमि में इस बार ढैंचा (जंतर) की फसल बोई गई है जो मौके पर बहुत ही अच्छी खड़ी है तथा अब 50 दिन होने के बाद उसको जमीन में बहाई कर दबा दिया जाएगा। यह बहुत ही अच्छी खाद जमीन में लगेगी जिसमें सभी तरह के तत्व मौजूद होते हैं तथा जमीन में जैविक तत्व भी छोड़ेगी जिससे भूमि की भौतिक संरचना में सुधार होगा तथा आने वाली फसलों में भरपूर उत्पादन प्राप्त होगा।

    खंड कृषि अधिकारी चंद्रभान श्योराण ने बताया कि अप्रैल माह में क्षेत्र के किसानों को हरियाणा सरकार कृषि विभाग द्वारा 80 फीसदी अनुदान पर ढैंचा (जंतर) का बीज दिया गया था। सरकार द्वारा क्षेत्र के किसानों के लिए बीज उपमंडल लोहारू में 500 एकड़ के लिए भेज दिया गया था। कृषि अधिकारियों ने अप्रैल माह में ही किसानों को हरी खाद बनाने के लिए ढांचा का बीज किसानों को वितरित कर दिया गया था। तीन चार सिचाई के बाद 50 से 60 दिन में किसानों की हरी खाद लगभग तैयार हो गई है। अब किसान हरी खाद ढांचा पर फूल आने से पहले भान या रोटावेटर के सहारे मिट्टी में मिला दिया जाएगा।