मैदान जीते, दफ्तरों में हारे... हरियाणा के नौ जिलों में नहीं जिला खेल अधिकारी, कोच ही संभाल रहे सब
हरियाणा की खेल व्यवस्था, जिसे खेल नर्सरी माना जाता है, बीमार है। नौ जिलों में जिला खेल अधिकारी नहीं हैं, जिससे प्रशिक्षकों को प्रशासनिक कार्यभार संभालना पड़ रहा है। इसका सीधा असर खिलाड़ियों के प्रशिक्षण पर पड़ रहा है। जून 2023 से कई वरिष्ठ कोच पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं, जिनकी सूची खेल मंत्री के पास लंबित है। यह स्थिति विभागीय कामकाज और खिलाड़ियों की प्रगति दोनों को प्रभावित कर रही है।
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हरियाणा के नौ जिलों में नहीं जिला खेल अधिकारी (File Photo)
सुरेश मेहरा, भिवानी। हरियाणा, जिसे देश की खेल नर्सरी माना जाता है, वहां की व्यवस्था आज खुद बीमार है। जब खिलाड़ी मैदान में पसीना बहा रहे हैं, तब उनकी मदद को प्रशासनिक ढांचा कमजोर पड़ता जा रहा है। प्रदेश के नौ जिलों में जिला खेल अधिकारी नहीं हैं। कुछ को डीडी पावर(ड्राइंग एंड डिस्बर्सिंग) दी गई है।
भिवानी, दादरी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, रोहतक और अंबाला जैसे अहम जिलों में जिन प्रशिक्षकों को कार्यकारी जिम्मेदारी दी गई है, वे न तो पूरे अधिकार के साथ काम कर पा रहे हैं और न ही बाकी स्टाफ से उन्हें पूर्ण सहयोग मिल पा रहा है।
इससे न केवल विभागीय कामकाज प्रभावित हो रहा है, बल्कि खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और प्रगति पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। व्यवस्था के मुताबिक हर कोच के पास 50 खिलाड़ियों की नर्सरी होती है।
इसके अलावा भी उसके पास कई खिलाड़ी प्रशिक्षण लेते हैं। लेकिन जब वही कोच कार्यालयी जिम्मेदारी संभालता है तो उसका सीधा असर प्रशिक्षण पर पड़ता है।
दूसरी ओर, वरिष्ठ खेल प्रप्रदेश में आखिरी बार जून 2023 में खेल प्रशिक्षकों को प्रमोशन दिया गया था। इसके बाद से सैकड़ों सीनियर कोच पदोन्नति की प्रतीक्षा में हैं। वरिष्ठता सूची लगभग तैयार बताई जा रही है और वह खेल मंत्री गौरव गौत्तम के पास लंबित है।
जिन कोचों के नाम सूची में बताए जा रहे हैं, उनमें सतेंद्र कुमार (भिवानी), विष्णु भगवान (दादरी), अनूप कुमार (रोहतक), गोपाल कृष्ण (पलवल), विकास (दादरी), राजबाला (फतेहाबाद), सुरेंद्र सिंह (करनाल), विद्यानंद (भिवानी) सहित तीन अन्य कोच शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो यह सूची कभी भी जारी हो सकती है।
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