गुरु के बताए मार्ग पर चलना चाहिए : कंवर साहेब महाराज
परमात्मा सुलभ होता है गुरु के बताए मार्ग पर चलने से। यह सत्संग वचन राधा स्वामी दिनोद के परम सन्त सतगुरु हुजूर कंवर साहेब महाराज ने गांव सुंगरपुर में कृष्ण वर्मा के पेट्रोल पंप पर सत्संग फरमाते हुए कही।

संवाद सहयोगी,तोशाम : जैसा और जितना आपका ख्याल है, परमात्मा आपको उतना ही और वैसा ही देता है लेकिन मिलेगा उनको जो परमात्मा की और जागृत रहते हैं। परमात्मा सुलभ होता है गुरु के बताए मार्ग पर चलने से। यह सत्संग वचन राधा स्वामी दिनोद के परम सन्त सतगुरु हुजूर कंवर साहेब महाराज ने गांव सुंगरपुर में कृष्ण वर्मा के पेट्रोल पंप पर सत्संग फरमाते हुए कही।
कंवर महाराज ने कहा कि इस सृष्टि का नियंता शब्द आदिकाल से है, परन्तु इस भेद को संतों ने कलयुग में प्रकट किया। इस शब्द का भेद केवल गुरु द्वारा प्रदत नाम के माध्यम से पाया जा सकता है। गुरु महाराज ने कहा कि जिस नाम को हमें उठते बैठते सोते जागते हुए स्मरण रखना चाहिए उस को तो हम एक क्षण के लिए भी याद नही करते। नाम की तरफ से हम गाफिल हुए बैठे है सोए रहते हैं। ऐसे में तो हम काल द्वारा ऐसे ही लूटते हैं जैसे रात्रि निद्रा के दौरान चोर हमें लूट ले जाता है।
उन्होंने कहा की इस जीव के पीछे अनेक चोर और ठग लगे हुए हैं परन्तु ये केवल उनको ही लूटते और ठगते हैं जो गुरु के भजन से विमुख हुए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति का मार्ग बहुत सरल है। भक्ति के लिए तो ना जटा बढ़ाने की आवश्यकता है ना तन पर राख मलने की और ना ही ना ना प्रकार के भेख धारण करने की। गुरु महाराज ने कहा कि जिनकी सूरत भजन में लग जाती है उनका कल्याण निश्चित है। थोथी बातों से मुक्ति नही है।
हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि यह तो मनुष्य की मूर्खता है जो इस सराय रूपी जीवन को अपने निजी संपत्ति मानने की भूल कर बैठता है। उन्होंने कहा की रूह की बेहतरी के लिए ही इंसान को प्रयासरत रहना चाहिए। प्रभु की भक्ति आपको परोपकार और परमार्थ दोनों प्रदान करती है। नेक काम करोगे तो आपको सुख मिलेगा। जीवन का कोई भरोसा नहीं है इसलिए जितनी नेकी कर सकते हो करो। उन्होंने गर्मी के मौसम में बेजुबान पशु पक्षियों के लिए भी दाना पानी की व्यवस्था करने की प्रार्थना की।
उन्होंने कहा कि प्रकृति के कहर से हम प्रकृति की सेवा करके ही बच सकते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि हमें इस पृथ्वी पर चार दिन का जीवन मिला है इसलिए जितना हम इससे लेते हैं। कम से कम उतना उसे वापिस अवश्य दें ताकि हमारे बाद आने वाली पीढ़ी को तकलीफ ना हो।
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