हरियाणा का 60वां स्थापना दिवस: बंटवारे के समय मिले थे तीन स्टेडियम, आज 300 से ज्यादा... हर खेल में महावली हैं हरियाणवी
हरियाणा ने खेलों में विश्व स्तर पर पहचान बनाई है। 1966 में केवल तीन स्टेडियम थे, जो अब 300 से अधिक हैं। हरियाणा में 1500 खेल नर्सरी हैं और यह देश का सबसे बड़ा खेल केंद्र है। खिलाड़ी ओलंपिक में पदक जीत रहे हैं और विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर हैं। हरियाणा की खेल नीति का अनुसरण दूसरे राज्य भी कर रहे हैं।

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सुरेश मेहरा, भिवानी। हरियाणा ने खेलों की दुनिया में विश्व पटल पर पहचान बनाई है। जब वर्ष 1966 में हरियाणा बना तो उस समय हर लिहाज से हरियाणा की भूमि एक तरह से बंजर थी। खेलों की बात करें तो उस समय मात्र तीन स्टेडियम थे। वर्तमान में 300 से ज्यादा खेल स्टेडियम हैं। ग्रामीण स्तर पर खेल मैदान बनाए हैं वे अलग से हैं।
हरियाणा वर्तमान में देश में सबसे बड़ा खेलों का हब है। यहां पर 1500 खेल नर्सरियां हैं। हरियाणा की खेल नीति का दूसरे प्रदेशोें ने भी अनुशरण किया है। हरियाणा सरकारों ने खिलाड़ियों को करोड़ों की नकद राशि के साथ सरकारी नौकरी भी दी जा रही है।
आबादी कम, पदक सबसे अधिक
देश की आबादी में हिस्सेदारी भले 2.1 प्रतिशत हो, पर खेलों में हरियाणा की ताकत 30 प्रतिशत पदकों में झलकती है। भिवानी के विजेंद्र सिंह ने पहला ओलिंपिक पदक जीता, तो कैप्टन हवासिंह ने एशियाई इतिहास रचा। आज एक पूरी पीढ़ी पदक जीतकर ला रही है। विश्व की मुक्केबाजी रैंकिंग में अलग-अलग भार वर्ग में दुनिया की टाप-10 में हरियाणा से छह महिला मुक्केबाज हैं। मुक्केबाजी, कुश्ती, भाला फेंक में बनाई पहचान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों ने हरियाणा को खेल महाशक्ति बनाया।
विश्व रैंकिंग की शीर्ष सूची में छह महिला मुक्केबाज इसी मिट्टी की हैं। इसके अलावा हैंडबाल, वालीबाल, फुटबाल में हमारे खिलाड़ी दूसरों के लिए मिसाल बने हैं। तीन स्टेडियमों से शुरू सफर अब हरियाणा का ओलिंपिक तक पहुंच चुका है। जो राज्य की खेल-संस्कृति की नई पहचान है।

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