Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मोटे अनाज की खेती छोड़ 11 एकड़ में लगाया बाग और छह एकड़ के नेट हाउस में लगाए खीरे

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 10 May 2022 05:59 PM (IST)

    गांव धनाना के प्रगतिशील किसान सुरेंद्र सिंह ने मोटे अनाज की अपेक्षा बा

    Hero Image
    मोटे अनाज की खेती छोड़ 11 एकड़ में लगाया बाग और छह एकड़ के नेट हाउस में लगाए खीरे

    जागरण संवाददाता, भिवानी : गांव धनाना के प्रगतिशील किसान सुरेंद्र सिंह ने मोटे अनाज की अपेक्षा बागवानी को अपनाया है। उन्होंने अपने कम पानी के खेत में बागवानी को चुना है, जिसमें उसने 11 एकड़ में बाग लगाया है। छह एकड़ में नेट हाउस लगाकर खीरे की खेती है। खीरे की खेती से वह प्रति एकड़ सालाना करीब सात लाख कमा रहा है। कोरोना काल के दौरान सुरेंद्र सिंह ने अपना समय खेती को दिया है। प्रगतिशील किसान सुरेंद्र अपने आसपास क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना है। दूसरे किसान भी उनके खेत में आकर उनके तरीकों को देख रहे हैं। बागवानी और नेट हाउस के लिए वह करीब पांच किलोमीटर दूर अपने ही खेत से पाइप लाइन के माध्यम से पानी लेकर आया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उल्लेखनीय है कि कोरोना काल के दौरान जब प्रत्येक इंसान कोरोना से बचाव में लगा था, उस समय गांव धनाना निवासी प्रगतिशील किसान सुरेंद्र अपना सारा समय खेत में दे रहा था। परिणामस्वरूप उन्होंने परंपरागत खेती छोड़ कर बागवानी शुरू की। उन्होंने छह एकड़ में नेट हाउस लगाया और 11 एकड़ में बागवानी की। नेट हाउस में वह खीरे की खेती कर रहा है। सर्दी के मौसम में प्रति एकड़ 300 क्विंटल खीरे की पैदावार ले रहा है, जबकि गर्मी के इस मौसम में वह प्रति एकड़ करीब 500 क्विंटल खीरा पैदावार ले रहा है। इस तरह से किसान सुरेंद्र के अनुसार खीरे की खेती से वह सालाना प्रति एक एकड़ करीब सात लाख रुपए कमा रहा है। वह खीरे की बिक्री भिवानी मंडी के अलावा रोहतक व हांसी मंडी में बिक्री करते है। ------------- बाग में लगाए रंग-बिरंगे तरबूज किसान सुरेंद्र ने पिछले तीन साल से अपने खेत में 11 एकड़ में बागवानी की है, इसमें उसने अमरूद, कीन्नू, बेरी आदि लगाए है। इसके साथ-साथ उन्होंने अपने इस खेत में बादाम, सेब, चीकू और आड़ू के पौधे लगाए हैं। जब तक इन पौधों पर फल लगने शुरू हो, खर्च निकालने के लिए सुरेंद्र हर साल रंग-बिरंगे तरबूज की खेती करता है। कोई तरबूज बाहर से हरा है तो वह अंदर से पीला निकलता है और यदि कोई बाहर से पीला दिखाई देता है तो वह अंदर से लाल निकलता है। सर्दी के मौसम में वह बागवानी के बीच रहती खाली जमीन पर गाजर की खेती करता है। ------------ पानी के बनाए हैं बड़े टैंक किसान सुरेंद्र ने बताया कि सिचाई के लिए उन्होंने अपने खेत से पाइप लाइन के माध्यम से पानी की व्यवस्था की है जो कि करीब पांच किलोमीटर दूरी से ली है। यहां पर उन्होंने 100 बाई 100 फीट के दो टैंक बनाए हैं। वे पूरी खेती सोलर सिस्टम के माध्यम से करते हैं। सुरेंद्र ने बताया कि अधिकारियों की सलाह पर उन्होंने बागवानी शुरू की और निरंतर बागवानी अधिकारियों के संपर्क में रहते हैं। उन्होंने बताया कि कृषि मंत्री जेपी दलाल भी उनके खेत का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि वह अपने ताऊ के लड़के सतीश के साथ मिलकर खेती कर रहे हैं। सतीश पूरा खेत संभाल रहा है।

    comedy show banner