Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चरखी दादरी: कपास की सरकारी खरीद महज कागजों तक सीमित, गुणवत्ता के नाम पर किसानों को किया जा रहा परेशान

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 05:17 PM (IST)

    चरखी दादरी में कपास की सरकारी खरीद कागजों तक सीमित है। खरीद शुरू हुए एक महीना हो गया है, लेकिन अभी तक केवल चार हजार क्विंटल कपास की खरीद हुई है, जिससे ...और पढ़ें

    Hero Image

    कपास की सरकारी खरीद महज कागजों तक सीमित (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, चरखी दादरी। चरखी दादरी में कपास की सरकारी खरीद महज कागजों तक सीमित नजर आ रही है। खरीद शुरू हुए एक महीने का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक केवल चार हजार क्विंटल कपास की खरीद हो पाई है, जिससे किसान और उनसे जुड़े संगठन नाराज हैं। किसान संगठनों ने सीसीआई प्रतिनिधियों पर गुणवत्ता के नाम पर किसानों को परेशान करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने तय समय में कपास की खरीद नहीं करने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सीसीआई प्रतिनिधियों पर बड़ा आरोप

    गौरतलब है कि लंबे इंतजार के बाद 20 नवंबर को दादरी में कपास की सरकारी खरीद शुरू हो पाई थी। खरीद को शुरू हुए लगभग एक महीने का समय बीत चुका है, लेकिन कपास खरीद रफ्तार उम्मीद से काफी धीमी रही। ऐसे में सरकारी खरीद में कपास बेचकर एमएसपी का लाभ लेने की बाट जोह रहे किसानों को मायूसी हाथ लगी है। 

    आरोप है कि कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) द्वारा कपास की गुणवत्ता में कमी बताकर बार-बार रिजेक्ट किया जा रहा है। इसके चलते नाममात्र के किसानों से ही कपास की खरीद हुई है। इनमें करीब 200 किसानों से सिर्फ चार हजार क्विंटल कपास की ही खरीद हो पाई है।

    कम दामों पर कपास बेच रहे किसान

    किसान संगठनों का कहना है कि जिले में खरीफ सीजन के दौरान बाजरा के अलावा मुख्य रूप से धान व कपास की खेती की गई। कपास की सरकारी खरीद के लिए किसानों ने लंबा इंतजार किया और मजबूरी में प्राइवेट खरीद में 1000 से 1500 रुपये कम भाव पर फसल बेच दी। बाद में सरकारी खरीद शुरू हुई तो राहत मिलने की उम्मीद जगी, लेकिन गुणवत्ता के कारण लगातार कपास रिजेक्ट होने से अब भी किसान प्राइवेट खरीद में औने-पौने दामों पर कपास बेचने को मजबूर हैं। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

    24 दिसंबर को किसानों की बैठक

    किसान नेता जगबीर घसौला ने कहा कि सीसीआई प्रतिनिधियों द्वारा कपास खरीद के लिए गुणवत्ता के नाम पर किसानों को केवल परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आढ़तियों से मिलीभगत करके पूर्व में किसानों द्वारा प्राइवेट खरीद में बेची जा चुकी कपास को एडजस्ट किया जा रहा है। इसके चलते किसान सरकारी खरीद के लाभ से पूरी तरह से वंचित हैं।

    उन्होंने कहा कि 24 दिसंबर को शहर के रोजगार्डन में किसानों के साथ बैठक आयोजित की जाएगी। इसमें भावांतर भरपाई और फसल मुआवजा राशि में की गई कटौती के अलावा कपास खरीद में गुणवत्ता के नाम पर किसानों को परेशान करने के मुद्दों पर विचार विमर्श किया जाएगा।

    SDM को सौंपा ज्ञापन: रणधीर सिंह कुंगड़

    अखिल भारतीय किसान सभा के दादरी जिला प्रधान रणधीर सिंह कुंगड़ ने कहा कि किसानों की लंबित मांगों को लेकर उनका बाढड़ा में धरना चल रहा है। वे किसानों की मांगों को लेकर एसडीएम को ज्ञापन सौंप चुके हैं। उस दौरान अधिकारियों को कपास खरीद की स्थिति से भी अवगत करवाया गया, लेकिन अभी तक इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। इसके चलते जिले के किसान सरकारी खरीद में अपनी फसल बेचने से वंचित हैं।

    उन्होंने कहा कि कार्यकारिणी से विचार-विमर्श कर इसको लेकर आगामी रूपरेखा तैयार की जाएगी।

    कपास खरीद में आएगी तेजी: सेंटर इंचार्ज

    सीसीआई के दादरी सेंटर इंचार्ज चंद्रशेखर बहादुर ने कहा कि कपास खरीद के दौरान गुणवत्ता में कमी आड़े आ रही है। कपास में पीलापन, नमी इत्यादि होने के कारण रिजेक्ट करनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि जो कपास गुणवत्ता में सही है, उसकी खरीद की जा रही है। वर्तमान में तीन मिलों में खरीद हो रही है और 200 किसानों से चार हजार कपास क्विंटल कपास खरीदी गई है।

    उन्होंने कहा कि खराब क्वालिटी की अधिकतर कपास प्राइवेट खरीद में जा चुकी है। अब कपास की गुणवत्ता में कुछ सुधार देखने को मिल रहा है और उम्मीद है कि आगामी दिनों में कपास खरीद गति पकड़ेगी।