खंडहरों में तब्दील होता जा रहा सीमेंट कारखाना परिसर
चरखी दादरी : किसी जमाने में दादरी का दिल कहलाने वाली सीमेंट कारपोरेशन
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : किसी जमाने में दादरी का दिल कहलाने वाली सीमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया की सीमेंट फैक्टरी धीरे-धीरे अपना अस्तित्व खोती जा रही है। एक वक्त था जब दादरी क्षेत्र की पूरी अर्थव्यवस्था सीसीआइ पर निर्भर थी। दो वर्ष पूर्व दादरी को जिले का दर्जा मिलने के बाद यहां के लोगों को उम्मीद बंधी है कि सीमेंट फैक्ट्री परिसर में कोई बड़ी योजना शुरू की जा सकती है। सीमेंट फैक्टरी के कारण ही किसी समय दादरी की पहचान पूरे देश के मानचित्र में थी। हैरानी की बात तो यह है कि उत्तर भारत की सबसे बड़ी सीमेंट फैक्टरी पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से बंद है।
दर्जनों बार संसद में यह मुद्दा उठा है, लेकिन इसे हर बार अनदेखा किया जाता रहा है। तकनीकी वजहों से एक बात स्पष्ट है कि दादरी की सीमेंट फैक्टरी के दिन अब लद चुके है। लेकिन यहां की करीब पौने तीन सौ एकड़ भूमि, नए, पुराने भवनों को लेकर किसी योजना की मांग के प्रति भी अनदेखी का सिलसिला जारी रहा है। उत्तर भारत का सबसे बड़ा सीमेंट प्लांट पिछले 35 वर्षो से बंद है। जिस समय यहां सीमेंट का उत्पादन होता था, उस वक्त दादरी व इसके आस-पास के क्षेत्र के हजारों लोग इसमें काम करते थे, यह प्लांट उनकी आजीविका का मुख्य साधन हुआ करता था। सीमेंट फैक्टरी के चलते दादरी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर इसके श्रमिकों के अलावा क्षेत्र के हजारों लोग निर्भर थे। 1980 में किया था अधिग्रहण
वर्ष 1980 में डालमिया मैनेजमेंट प्रबंधन के श्रमिक विरोधी रवैये के चलते सीमेंट उद्योग पर संकट के बादल छाने शुरू हो गए। जिसके बाद मार्च 1980 में फैक्टरी संस्थापक डालमिया परिवार ने फैक्टरी की ताला बंदी कर दी। हजारों कर्मचारी सड़क पर आ गए तथा सीधे तौर पर दादरी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था, विकास, रोजगार पूरी तरह से चरमरा गया। फैक्टरी की ताले बंदी के बाद श्रमिक संगठन इंटक के यूनिट प्रधान रहे भीम सैन प्रभाकर के नेतृत्व में जोरदार आंदोलन चलाया गया। संगठन के लगातार धरना प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने व्यक्तिगत तौर पर हस्तक्षेप किया तथा जून 1981 में एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया। जिसके बांद प्लांट सीमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया का उपक्रम बन गया। 1938 में शुरू हुई थी फैक्टरी
देश की आजादी से पहले डालमिया परिवार एवं जींद रियासत के शासक महाराज रणवीर ¨सह के प्रयासों से वर्ष 1938 में सीमेंट कारखाना स्थापित हुआ था। उस समय ब्रिटिश कालीन में भारत में सीमेंट के एक दर्जन से भी कम प्लांट हुआ करते थे। दादरी क्षेत्र उत्तर भारत का सबसे बड़ा सीमेंट प्लांट था। जिसे जर्मनी की एक सीमेंट कंपनी के सहयोग से स्थापित किया गया। प्लांट के लगने के बाद पूरा जिलाभर के हजारों बेरोजगार लोगों को रोजगार के अच्छे अवसर मिले। इसके बाद लोगों को काम धंधे की तलाश में भटकना नहीं पड़ा। 750 टन प्रतिदिन उत्पादन
साल 1938 में स्थापित कारखाने में वर्ष 1958 तक 250 सीमेंट का उत्पादन होता था, जो तेजी के साथ बढ़कर 750 टन प्रतिदिन हो गया। उच्च गुणवत्ता की सीमेंट बनने के कारण इसका निर्यात देश के विभिन्न क्षेत्रों व शहरों में होता था। देश के अलावा विदेशों में भी सीमेंट की मांग बढ़ गई। सीमेंट कारखाना 210 एकड़ में स्थापित किया गया था। इस जमीन पर प्लांट लगाने के अतिरिक्त कई कार्यालयों तथा भवनों का निर्माण करवाया गया था। 280 आवासीय भवन
सीमेंट फैक्ट्री में बने 280 आवासीय भवनों को बनाया गया था, जिसमें यहां के श्रमिक अपने परिवारों सहित रहते थे तथा जीवन यापन करते थे। प्लांट परिसर में बड़े अधिकारियों के लिए 30 से अधिक शानदार कोठियों का निर्माण करवाया गया था। जो अब सीमेंट प्लांट की ताले बंदी के बाद पूरी तरह से खंडहर हो चुकी है। कारखाना परिसर में सामुदायिक अस्पताल का विशाल भवन बनवाया गया तथा यहां के श्रमिकों एवं उनके परिजनों को निशुल्क चिकित्सा मुहैया करवाई गई। लोगों की जगी उम्मीद
18 सितंबर को दादरी रैली में सीएम मनोहर लाल ने चरखी दादरी को जिला बनाने की घोषणा की थी। दादरी पूर्ण रूप से जिला बन भी गया है। अब लोगों को पुन: उम्मीद जगी है कि प्रदेश सरकार बंद पड़े सीसीआइ परिसर के करीब पौने तीन सौ एकड़ भूमि पर जिले के लिए कई उपयोगी योजनाओं को शुरू कर यहां लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया करवा सकती है। इसके अलावा यहां जिला मुख्यालय से जुड़ी कुछ जरूरी योजनाएं भी शुरू हो सकती है। कई बार पत्र लिखे : विधायक
दादरी के विधायक राजदीप फौगाट ने बताया कि उन्होंने बंद पड़े सीसीआइ प्लांट के स्थान पर कोई उपयोगी योजना शुरू करने, यहां के भवनों, जमीन का इस्तेमाल रोजगारपरक योजनाओं के लिए शुरू करने को लेकर कई बार प्रदेश व केंद्र सरकार को पत्र लिखे है। लेकिन अभी तक इस मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
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