डिग्री के चांद का इंतजार, करवाचौथ पर भिवानी में छात्रों का अनोखा धरना, शिक्षा नीति पर उठे सवाल
भिवानी के चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय में समाज कार्य और पत्रकारिता विभाग के छात्र स्नातकोत्तर डिग्री को डिप्लोमा में बदलने के विरोध में धरने पर बैठे। करवाचौथ के संदर्भ में, छात्रों ने 'डिग्री के चांद का इंतजार' थीम के साथ प्रदर्शन किया। छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन से मांगें पूरी न होने पर भूख हड़ताल की चेतावनी दी और इस मुद्दे को शिक्षा की गरिमा का सवाल बताया।

विद्यार्थियों ने कहा कि जब तक डिग्री का चांद नहीं निकलेगा, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
जागरण संवाददाता, भिवानी। चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी में समाज कार्य और पत्रकारिता विभाग स्नातकोत्तर की डिग्री को डिप्लोमा में बदले जाने के विरोध में चल रहे धरने का शुक्रवार को तीसरा दिन था। छात्र नेता सुमित बराड़ ने बताया कि धरने पर अनोखा और प्रतीकात्मक चांद लगा कर धरना आयोजित किया। धरने की थीम थी डिग्री के चांद का इंतजार जिसके माध्यम से छात्रों ने यह संदेश दिया कि जैसे करवाचौथ के दिन पत्नियां अपने जीवनसाथी के दीदार के लिए चांद का इंतजार करती हैं, वैसे ही हम छात्र अपनी डिग्री के चांद के इंतजार में हैं, जो अब तक प्रशासनिक ग्रहण में फंसा हुआ है।
धरने में रवि, अपूर्व, प्रिया, वसुधा, मीनाक्षी, इंदु, प्रवीण बुरा, प्रदीप, नवीन कौशिक, गुरदीप, राकेश, चिंटू, जयदीप ग्रेवाल, प्रवीण गोलागढ़, बिट्टू, गुरदास आदि मौजूद रहे और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर रोष जताया। छात्र नेता युवराज बराड़ ने कहा कि छात्रों की यह लड़ाई न्याय और शिक्षा की गरिमा के लिए है। यदि विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों की मांगें नहीं मानीं, तो यह मजबूरन हमें भूख हड़ताल पर बैठना पड़ेगा। जब तक डिग्री का चांद नहीं निकलेगा, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।
पत्रकारिता विभाग से मनोज ग्रेवाल ने कहा कि यह संघर्ष किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि शिक्षा की प्रतिष्ठा का संघर्ष है। इनसो से नितिन सैन ने कहा कि यह धरना न केवल विश्वविद्यालय परिसर बल्कि पूरे शहर में चर्चा का विषय बना रहा। स्थानीय लोगों और छात्रों ने भी इस रचनात्मक विरोध की सराहना की और छात्रों की मांगों के प्रति समर्थन जताया। हमारा यह धरना प्रेम का नहीं, बल्कि पहचान और भविष्य की रक्षा का प्रतीक है। जिस डिग्री ने हमें समाजसेवा और जागरूकता का पाठ पढ़ाया, उसी को डिप्लोमा बनाना हमारी मेहनत का अपमान है।
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