Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    भिवानी: एएसआई पर अवैध हिरासत का आरोप, मानवाधिकार आयोग ने SP से मांगी रिपोर्ट

    Updated: Wed, 22 Oct 2025 03:46 PM (IST)

    भिवानी के ढाणा जंगा गांव निवासी अशोक कुमार ने सदर थाना के एएसआई पर धमकी देने और गैर-कानूनी रूप से थाने में रोकने का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता ने हरियाणा मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके बाद आयोग ने पुलिस अधीक्षक से रिपोर्ट तलब की है। अशोक कुमार का आरोप है कि एएसआई ने उसे 13 जून को थाने में बुलाकर धमकाया और गैर-कानूनी रूप से हिरासत में रखा।

    Hero Image

    File Photo

    जागरण संवाददाता, भिवानी। सदर थाना पुलिस क्षेत्र के गांव ढाणा जंगा निवासी एक व्यक्ति ने जांच अधिकारी एएसआइ पर धमकी और गैर-कानूनी रूप से थाने में रोकने के आरोप लगाए है। इस मामले की शिकायत हरियाणा मानव अधिकार आयोग में दायर की है। आयोग ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट तलब करने के निर्देश है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हरियाणा मानव अधिकार आयोग को दी शिकायत में गांव ढाणा जंगा निवासी अशोक कुमार ने आरोप लगाया है कि उसके भाई जगजीत ने थाना सदर भिवानी में एक झूठी शिकायत दर्ज कराई। उक्त शिकायत के आधार पर थाना सदर भिवानी के एएसआई को मामले की जांच सौंपी। आरोप लगाया गया है कि 13 जून को एएसआइ ने शिकायतकर्ता को थाना सदर बुलाया और उसे फोन पर धमकाया।

    शिकायतकर्ता के थाना पहुंचने पर, उसे धमकियों का सामना करना पड़ा और बिना किसी औपचारिक गिरफ्तारी के सुबह से लेकर शाम तक थाने में एक अभियुक्त की तरह बैठाए रखा गया। चिकित्सीय परीक्षण के बाद शिकायतकर्ता को लाक-अप में रखा गया।

    उस पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धाराएं 126 एवं 170 के अंतर्गत मामला दर्ज किया। शिकायतकर्ता रातभर हिरासत में रहा और अगले दिन उसे उपमंडल मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया।

    शिकायतकर्ता ने आरोपित पुलिस अधिकारी के विरुद्ध उचित कार्रवाई किए जाने की मांग की है। न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने मामले पर संज्ञान लेते हुए पुलिस अधीक्षक भिवानी से रिपोर्ट मांगी है।

    हरियाणा मानव अधिकार आयोग के प्रोटोकाल, सूचना व जनसंपर्क अधिकारी डा. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने भिवानी के पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया गया है कि एक विस्तृत रिपोर्ट आयोग के जांच निदेशक के माध्यम से अगली सुनवाई की 17 दिसंबर से पहले प्रस्तुत करें।