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    दादरी हलके के पहले विधायक, स्वतंत्रता सेनानी चौ. निहाल सिंह तक्षक की पुण्यतिथि मनाई

    जागरण संवाददाता चरखी दादरी महान स्वतंत्रता सेनानी एवं दादरी हलके के प्रथम विधायक गांव भागव

    By JagranEdited By: Updated: Sat, 09 Oct 2021 06:27 AM (IST)
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    दादरी हलके के पहले विधायक, स्वतंत्रता सेनानी चौ. निहाल सिंह तक्षक की पुण्यतिथि मनाई

    जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : महान स्वतंत्रता सेनानी एवं दादरी हलके के प्रथम विधायक गांव भागवी निवासी स्व. चौधरी निहाल सिंह तक्षक की पुण्य तिथि पर शुक्रवार को दादरी बार एसोसिएशन ने श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। प्रधान सुरेंद्र मेहड़ा की अध्यक्षता में कोर्ट कैंपस में चौ. निहाल सिंह तक्षक की प्रतिमा के समक्ष ज्योत प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित किए गए। सुरेंद्र मेहड़ा ने स्व. निहाल सिंह तक्षक के संघर्ष व सामाजिक उत्थान के लिए किए गए सहयोग को याद किया। उन्होंने कहा कि निहाल सिंह तक्षक संविधान सभा के सदस्य भी रहे। चौ. निहाल सिंह तक्षक ट्रस्ट के सदस्यों ने बाईपास स्थित श्रीकृष्ण गोशाला में जनसेवा संस्थान द्वारा संचालित वृद्धाश्रम में रह रहे मंदबुद्धि, विकलांग एवं असहाय व्यक्तियों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई और फल वितरित किए गए। ट्रस्ट के सदस्यों ने झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों के लिए वस्त्रों का भी प्रबंध करवाया। इस अवसर पर विरेंद्र डूडी, अधिवक्ता आशीष सांगवान, अधिवक्ता सुमित श्योराण, अधिवक्ता प्रवीन तक्षक, संजीव तक्षक, रणजीत पाल भी उपस्थित रहे। निहाल सिंह तक्षक के पौत्र रमेश तक्षक ने उनकी जीवन शैली पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आजादी से पहले भारत में दो तरह की राजनीतिक व्यवस्था थी एक ब्रिटिश इंडिया व दूसरी रियासती भारत। ब्रिटिश इंडिया में आजादी की लड़ाई कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ी जा रही थी। लेकिन रियासतों में कांग्रेस के गठन पर पाबंदी थी। रियासतों में आजादी के आंदोलन को गति देने के लिए 1929 में प्रजामंडल आंदोलन की शुरुआत की गई थी। लेकिन पंजाब की रियासतों में यह दौर देर से चला। हरियाणा में सबसे बड़ी रियासत जींद होती थी। वहां पर प्रजामंडल का गठन दुष्कर कार्य था क्योंकि जींद रियासत के महाराजा रणबीर सिंह का खौफ व्याप्त था। ऐसे माहौल में निहाल सिंह तक्षक ने 1939 में प्रजामंडल का गठन किया। शुरुआत में प्रजामंडल का सदस्यता अभियान गुप्त रूप से चलाया गया। तक्षक 1937 में विधायक भी चुने जा चुके थे। वे प्रजामंडल के संस्थापक अध्यक्ष बने व 1948 तक इस पद पर रहे। बाद में प्रजामंडल का कांग्रेस में विलय हो गया तब वे जींद स्टेट कांग्रेस के पहले अध्यक्ष बने। उन्होंने प्रजामंडल की मजबूती के लिए गांव-गांव पद यात्राएं कीं। बिरला स्कूलों के माध्यम से प्रत्येक गांव में प्रचार किया। तत्कालीन जींद रियासत के भ्रष्ट प्रधानमंत्री गंगा सिंह कौल को हटाने का आंदोलन चलाया, जिसमें वे कामयाब भी हुए। 1948 में चलाया था सत्याग्रह

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    रमेश तक्षक ने कहा कि चौ. निहाल सिंह ने फरवरी 1948 में दादरी के किला मैदान में सत्याग्रह की शुरुआत की थी। इस सत्याग्रह में लगभग 35000 लोगों ने 21 दिनों तक दिनरात वहां डेरा जमाए रखा। इस आंदोलन के दूसरे दिन ही निहाल तक्षक को गिरफ्तार कर लिया गया तथा उन्हें पटियाला रियासत में बाजिदपुर नामक जगह पर कैद रखा। उधर सत्याग्रहियों ने दादरी किले को कब्जे में ले लिया। बाद में चौधरी दलसिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। निहाल तक्षक ने जेल से समानांतर सरकार के गठन का आह्वान किया। परिणामस्वरूप चौ. महताब सिंह को जींद रियासत का राजा घोषित किया गया। इन हालातों में सरदार पटेल ने डा. पट्टाभिसितार मैया को दादरी भेजा। महाराजा रणबीर सिंह ने जन दबाव के सामने समर्पण कर दिया और जींद रियासत के भारत में विलय की घोषणा कर दी तथा निहाल तक्षक व चौधरी दलसिंह को रिहा कर दिया गया। वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य भी थे। इस आंदोलन के बाद जब वे संविधान सभा के सत्र में भाग लेने गए तो संविधान सभा में उनका स्वागत किया और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें हीरो आफ मर्जर मूवमेंट के टाइटल से नवाजा।