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    मानव जीवन अनमोल, इसका महत्व समझें : श्रेष्ठा

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    Updated: Sun, 18 Dec 2016 01:01 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, चरखी दादरी: मनुष्य जीवन कीमती व अनमोल रत्न है। यह सहज में नहीं मिलता है। 4 गति व 8

    जागरण संवाददाता, चरखी दादरी: मनुष्य जीवन कीमती व अनमोल रत्न है। यह सहज में नहीं मिलता है। 4 गति व 84 लाख जीवन योनियों में परिभ्रमण करने तथा शुभ

    कर्मों के उपरांत, परोपकारी बनने, दान पुण्य को नियमित करने से ही मानव तन मिलता है। जब परमात्मा ने हमें सर्वश्रेष्ठ जीव बना कर धरा पर भेजा है तो यह हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि हमें इंसानियत का भाव रखते हुए सर्व जीव कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए। यह बात शनिवार को स्थानीय जैन मौहल्ला स्थित जैन महिला मंडल स्थानक में जयपुर से पधारी स्वर्ण कांता, सुधा महाराज, कमलेश महाराज की शिष्याएं श्रेष्ठा, साध्वी चंदना महाराज ने धर्म चर्चा के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करते हुए कही।

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    जैन समाज के वरिष्ठ प्रवक्ता धीरज जैन ने बताया कि ये चारो साध्वियां जयपुर के आदर्श नगर से चतुमार्स के तहत भ्रमण करते हुए नारनौल से होकर स्थानीय स्थानक में ठहरी हुई है। इस दौरान रोजाना धर्म चर्चा प्रात 8 से 9 बजे तक हो रही है। आज की चर्चा में इन्होंने मानव जीवन की महता को मानव जीवन दुलर्भ, मिले न बारम्बार, पत्ता टूटे वृक्ष से, ले न फिर उस डार के जरिए समझाते हुए कहा कि सर्वजीव कल्याण के लिए मिला यह मानव तन हमें व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। नियमित दिनचर्या में से कुछ समय धर्म, सत्संग व जीव कल्याण अवश्य ही लगाना चाहिए।

    इस मौके पर आईसी जैन, सुरेंद्र मोहन, पंकज, संजीव, धीरज, मुकेश, कपिल, नैना देवी, पवन, विद्या देवी, प्रेमलता, मीना, राजरानी, मंजू सहित बड़ी संख्या में जैन समाज के गणमान्य व्यक्ति व नागरिक उपस्थित थे।