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    तू ठाले सरवर नै, मैने ठा लिया नीर ..

    By Edited By:
    Updated: Tue, 05 Apr 2016 06:50 PM (IST)

    जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : .. चंबल नदी के कंठारे पै रुदन करे मां म्हारी नै, मार पीट कै उल्टे ता

    जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :

    .. चंबल नदी के कंठारे पै रुदन करे मां म्हारी नै, मार पीट कै उल्टे ताह दिए जुल्म करे भठियारी नै.. रागिनी के माध्यम से सरवर-नीर ने अपने पिता अम्ब को पूरी व्यथा बताई। कलाकारों द्वारा रागिनी की मार्मिक प्रस्तुति को देख श्रोताओं की आंखें भी नम हो गई। यह दृश्य मंगलवार को गांव कमोद बस स्टाप के समीप निर्माणाधीन गो चिकित्सालय में जय बाबा न्यारमदास सोशल वेलफेयर सोसायटी द्वारा चल रहे सांग उत्सव के दौरान प्रस्तुति हरियाणवीं किस्सा सरवर-नीर के दौरान दिखाई दिया। गांव ढाठरथ सहरड़ा निवासी सांगी वेदप्रकाश अत्री एंड पार्टी की प्रस्तुतियों को श्रोताओं ने सराहा। सांग की कहानी के अनुसार अमृतसर में राजा अम्ब राज करते थे। उनकी रानी का नाम अम्बली था। राजा के दो लड़के सरवर व नीर थे। एक ऋषि उनके दरवाजे पर आकर अलख जगाता है। राजा अम्ब बड़ा प्रतापी, धार्मिक प्रवृत्ति का था। ऋषि ने राजा से राज कोलड़ा मांग लिया। यहां तक कि रानी के गहने भी उतरवा लिए। इसके बाद राजा-रानी व दोनों बेटे राजपाट से बाहर कर दिए जाते हैं। राजा कहते हैं तू ठाले सरवर नै, मैने ठा लिया नीर। वे जंगल में भटकते हैं, राजा की नजर एक भठियारी की सराय पर पड़ती है। यहां रहकर राजा पत्ते लाने, रानी तंदूर झोंकने व दोनों बच्चे बकरियां चराने का कार्य कर अपना गुजारा करते हैं।

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    अम्बली पर मोहित हुआ सौदागर

    इस बीच एक रोज सौदागर सराय में आता है और रानी अम्बली की सूरत पर मोहित हो जाता है। भठियारी को लालच देकर अम्बली को अपनी जहाज पर भेजने को कहता है। रानी अम्बली लाख मना करती हैं, लेकिन भठियारी ने उसे काम से हटाने की चेतावनी दी। भठियारी राजा अम्ब को पत्ते लाने के लिए भेजती है, पीछे से अम्बली को सौदागर का खाना लेकर जहाज पर ले जाती है। यहां धोखा कर अम्बली को जहाज में बैठाकर सौदागर ले जाता है।

    सराय से भी निकाल दिया

    अम्ब के वापस आने पर भठियारी दोनों बच्चों सहित उसे भी सराय से बाहर निकाल देती है। भटकते हुए चम्बल नदी पर राजा अम्ब पहुंचे। नीर को नदी के उस पार छोड़ा, लेकिन सरवर को लेने आया तो बीच नदी पानी का बहाव तेज हो गया। राजा बह जाता है। नदी के अलग-अलग किनारों पर रो रहे भाईयों को एक धोबी अपने घर ले जाता है, उनका पालन पोषण कर राजा की सेना में नौकरी दिला देता है।

    फिर मिला राजा का परिवार

    उधर राजा भी नदी से जिंदा निकल एक नगरी में पहुंचे जहां की रीति के अनुसार वे राजा का सिंहासन पा लेते हैं। संयोगवश सौदागर का जहाज भी उसी नगरी में पहुंच जाता है। सरवर-नीर सौदागर के जहाज पर पहरा देते हैं, रात को समय व्यतीत करने के लिए आप बीती कहानी कहते हैं, जिसे सुनकर जहाज में बैठी रानी अम्बली अपने बेटों को पहचान जाती है। बेटों से मिलने के लिए वह बहाना कर कुछ चीज जहाज से बाहर फेंक देती है। सौदागर से जहाज में चोरी होने की बात कहती है।

    सौदागर ने की शिकायत

    चोरी की शिकायत लेकर सौदागर राजा के पास जाता है, इस दौरान रानी सिंहासन पर मौजूद राजा अम्ब को पहचान लेती है। दोनों पहरेदारों से रात की कहानी दोबारा बताने को कहा जाता है। कहानी सुनकर राजा भी दोनों बेटों को पहचान जाते हैं। इस प्रकार धर्म की परीक्षा पूर्ण होने पर ऋषि उन्हें उनका राज वापस लौटा देता है। राजा अम्ब अपने परिवार के साथ सुख से प्रजा पालन करने लग जाते हैं। इस अवसर पर प्रधान मंजीत दलाल, समाजसेवी महावीर यादव कमोद, सुदर्शन सरपंच, राकेश पंच, दीदार सिंह, पूर्व सरपंच धर्मपाल, जगदीप सिंह, रामफल कमोद, भूप ठेकेदार, लोक गायक राजेश थुरानिया, जयबीर प्रधान रावलधी, आशीष कुमार, सुनील जांगड़ा रावलधी, वेद प्रकाश ठेकेदार, राजेश पोले सरपंच प्रतिनिधि रावलधी सहित सैकड़ों सांग प्रेमी मौजूद थे।