निष्काम कर्मयोग, मुक्ति का मार्ग : शास्त्री
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : व्यास पीठासीन आचार्य मुकेश शास्त्री मथुरा वाले ने कहा कि कर्मो के अनुस
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : व्यास पीठासीन आचार्य मुकेश शास्त्री मथुरा वाले ने कहा कि कर्मो के अनुसार जीव को सुख, दुख भोगने पड़ते है। कर्म विधान निश्चित है लेकिन निष्काम कर्म योग के मार्ग पर चलने से कर्म बंधन पीछे छूट जाते है। आचार्य मुकेश शास्त्री श्री गीता भवन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा समारोह के चौथे दिन शनिवार को भागवत के आधार पर कर्म योग की सरल व्याख्या कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संचित कर्मो का फल मिलता है। प्रारब्ध के अनुसार मनुष्य को विभिन्न परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। कर्मो के अनुसार जीव सुख, दुख को भोगता है। इसके विपरीत भक्ति, ज्ञान, विवेक मार्ग पर चलने से जीवन में निष्काम कर्म योग का प्रादुर्भाव होता है। निष्काम कर्म योग के बाद जीव कर्म बंधन से मुक्त हो जाता है। उस स्थिति में वह कर्म करता नहीं बल्कि उनका साक्षी बनता है। वह सुख, दुख, राज, लोभ, अहम इत्यादि प्रवृतियों से भी अलग हो जाता है। दूसरे शब्दों में निष्काम कर्म योग मुक्ति का मार्ग भी है। संसार में जीव के आगमन का लक्ष्य आवागमन से मुक्ति पाना है। साक्षी भाव के जीवन में आने के बाद जीवन का अर्थ ही बदल जाता है। लाखों योनियों के बाद जीव को मानव योनि मिलती है। मानव जीवन को कर्म योनि भी कहा गया है।
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