मिड डे मील योजना शुरू करने इसी गांव में आए थे प्रधानमंत्री
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जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : शहर से चंद किलोमीटर दूर बसा बालौर गांव कई मायनों में खास है। मिड डे मील योजना का जिक्र करते ही इस गांव का नाम खुद ब खुद मन में उभर आता है। यही वह गांव है जहां से इस योजना की शुरूआत हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव 15 अगस्त 1995 को बालौर से ही इस योजना को शुरू करने आए थे।
बालौर का इतिहास करीब 500 साल पुराना है। यह गांव सन 1521 में बसा था। चूंकि राव बाला ने यह गांव बसाया था, इसलिए गांव का नाम बालौर रखा गया। बहादुरगढ़ और इसके आसपास के क्षेत्र में यह अकेला अहीर बहुल गांव है, मगर 36 बिरादरी यहां मिल-जुलकर रहती है। ----अढ़ाई दशक पहले चर्चित हुआ था बालौर गांव वैसे तो इस गांव से कई खास बातें जुड़ी हुई हैं, मगर करीब अढ़ाई दशक पहले यह गांव तब ज्यादा चर्चित हुआ, जब 15 अगस्त 1995 को तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव यहां से मिड डे मील योजना की शुरूआत करने आए थे। तभी से सरकारी स्कूलों में यह योजना चल रही है। तब से ही यह गांव और ज्यादा खास है। ----स्वच्छ और शांतिप्रिय है बालौर गांव इस गांव को हलके के स्वच्छ और शांतिप्रिय गांवों में से एक माना जाता है। यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि इस गांव को बसाने वाले राव बाला का गौत्र खोला है। राव बाला के वंशज आसब थे। उनके वंशज लख्मीदास, ओधो व रायमल थे। गांव में 14 विश्वे व 6 विश्वे मालकान के अलावा कई गौत्र के निवासी रहते हैं। गांव में राधा-कृष्ण व हनुमान मंदिर प्रमुख पूजनीय स्थल है। गांव में प्रवेश करते ही मंदिर में लगी भगवान हनुमान की विशाल प्रतिमा हर किसी को भक्ति से सराबोर कर देती है। ---यहां के कई वीरों ने दी है देश के लिए कुर्बानी देश सेवा और आजादी की लड़ाई में भी बालौर का योगदान कम नहीं रहा है। प्रथम विश्व युद्ध से लेकर स्वतंत्रता आंदोलन और भारत-चीन युद्ध में भी यहां के वीरों ने अदम्य साहस का परिचय दिया। स्वतंत्रता संग्राम में मनफूल सिंह, मूलचंद और रामकला ने योगदान दिया। वहीं प्रथम विश्वयुद्ध में चुन्ना राव, मुन्नीराम व खुशिया ने बलिदान दिया। वहीं भारत-चीन युद्ध में शेर सिंह व कृष्ण यादव ने अपने प्राणों की आहुति दी। वहीं 1991 में परसराम यादव भी देश के लिए शहीद हुए। यहां की कुमारी निशा का सीनियर डिविजन मजिस्ट्रेट के तौर पर चयन हुआ। इसके साथ ही सामाजिक उत्थान और अन्य क्षेत्रों में भी यहां की प्रतिभाओं का राष्ट्र निर्माण में अतुलनीय योगदान रहा। ---शुरू से ही यह गांव शांतिप्रिय रहा है। स्वच्छता का विषय हो, खुले में शौच बंद करने या फिर सरकार को सहयोग देने का, सभी में बालौर गांव अग्रणी है।
--सतबीर, सरपंच, बालौर

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