Haryana panchayat Poll: वीआइपी गांव खरहर से निकले हैं कई बड़े नेता, देश-प्रदेश की राजनीति में रहा बड़ा कद
खरहर गांव के चांदराम न केवल केंद्र सरकार में जहाजरानी मंत्री बने थे बल्कि पंजाब से अलग होकर जब हरियाणा प्रदेश का गठन हुआ तो वे प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री भी बने थे। करनाल से चार बार लोकसभा के सदस्य रहे पंडित चिरंजीलाल शर्मा भी इसी गांव के थे

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: उपमंडल के गांव खरहर की गिनती वीआइपी गांव में होती है। बहादुरगढ़ से 17 किलोमीटर दूर छारा-सांपला रोड पर बसा यह गांव राठी गोत्र बाहुल्य है। गांव में करीब एक हजार वोटर अनुसूचित जाति से संबंधित हैं तो गांव में सरपंच का पद पहली बार अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हुआ है। इस गांव से कई बड़े नेता निकले हैं देश-प्रदेश की राजनीति का हिस्सा रहे हैं। इस गांव के चांदराम न केवल केंद्र सरकार में जहाजरानी मंत्री बने थे बल्कि पंजाब से अलग होकर जब हरियाणा प्रदेश का गठन हुआ तो वे प्रदेश के पहले उपमुख्यमंत्री भी बने थे।
करनाल से चार बार लोकसभा के सदस्य रहे पंडित चिरंजीलाल शर्मा भी इसी गांव के थे। उनके पुत्र कुलदीप शर्मा सोनीपत की गन्नौर विधानसभा सीट से विधायक बने और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में विधानसभा अध्यक्ष भी बने। चांदराम और पंडित चिरंजीलाल शर्मा का तो प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी बड़ा कद रहा। चांदराम सिरसा के साथ-साथ हरदोई लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने थे। चांदराम जब हरदोई से सांसद बने तो उस समय केंद्रीय जहाजरानी मंत्री भी बने थे। गांव के जाट मेहर सिंह राठी भी प्रदेश में मंत्री बने थे। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी रहे चतर सिंह पहलवान लगातार दो बार सरपंच बने और फिर प्रदेश की राजनीति में आए। हरियाणा कुश्ती संघ के अध्यक्ष भी बने थे।
तीन बार विधायक का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। अब इनके बेटे मोहित चतर सिंह भाजपा से जुड़े हुए हैं। गांव के पिछले प्लान में सरपंच रहे अशोक राठी भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष हैं। देश-प्रदेश की राजनीति का हिस्सा रहे नेताओं वाले इस गांव में इन दिनों पंचायत चुनाव का प्रचार जोरों पर है, मगर गांव में सरपंच का पद पहली बार अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित हुआ तो ग्रामीणों का रुझान इस बार चुनाव के प्रति काफी कम है। अनुसूचित जाति से संबंधित सात महिला उम्मीदवार मैदान में हैं।
सातों उम्मीदवार नई हैं। पूजा कटारिया, सीमा कटारिया, प्रीति कटारिया, सविता बिडला, सोनिया, ज्योति व पिंकी देवी सरपंच का चुनाव लड़ रही हैं। कोई ससुर के नाम पर तो कोई पति के नाम पर वोट मांग रही है। वैसे सभी उम्मीदवारों के पास कोई विशेष एजेंडा नहीं है। सभी उम्मीदवार विकास कार्याें और बीपीएल कार्ड बनवाने के नाम पर वोट मांग रही हैं। इनमें से एक-दो उम्मीदवारों का समर्थन गांव के पूर्व सरपंच कर रहे हैं।
ऐसे में तिकोना मुकाबला बना हुआ है। गांव के पूर्व सरपंच अशोक राठी बताते हैं कि उन्हाेंने अपने कार्यकाल में करीब 12 करोड़ के कार्य करवाए हैं। इनमें मुख्य गांव के चारों ओर दूषित पानी की निकासी के लिए नाला, पेयजल पाइप लाइन, गली-नाली बनवाई गई। अशोक राठी के अलावा गांव के सरवन भारद्वाज, रवि राठी आदि बताते हैं कि गांव में मुख्य मुकाबला दो-तीन उम्मीदवारों में ही है।
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