कला की बारीकियों से रूबरू करवा रहा है हस्तशिल्प मेला, कृतियों में समाया है कई राज्यों का अतीत
राजस्थान के जयपुर के नेशनल अवार्डी कलाकार हनुमान सैनी इस लघु चित्रकारी से कई पीढ़ियों को रूबरू करवाते आ रहे हैं। उनकी तूलिका से सजी कृतियों में इतनी बारीकियां हैं जो आंखों के रास्ते सीधे मन में उतरती हैं।

बहादुरगढ़, जागरण संवाददाता। कला की बारीकियों से रूबरू होना है तो इन दिनों बहादुरगढ़ चले आइये। यहां पर सजे मेले में हस्तशिल्प कला का हर वह रंग है, जो कृतियों के रूप में किसी भी कल्पना को जीवंत रूप दे रहा है। राजस्थान की लघु चित्रकारी के बारे में तो आपने सुना ही होगा, इस मेले में इसी कला के भी सहज दर्शन हो रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे जीवन का हर पहलू इस कला में समाया हो। सकारात्मक कल्पनाओं की हद से कहीं आगे तक यह कला नजर आती है।
लघु चित्रकारी से कई पीढ़ियों को रूबरू करवाते आ रहे हनुमान सैनी
राजस्थान के जयपुर के नेशनल अवार्डी कलाकार हनुमान सैनी इस लघु चित्रकारी से कई पीढ़ियों को रूबरू करवाते आ रहे हैं। उनकी तूलिका से सजी कृतियों में इतनी बारीकियां हैं, जो आंखों के रास्ते सीधे मन में उतरती हैं। बहुत से विषयों पर अपनी लघु चित्रकारी (मिनिएचर पेंटिंग) से अतीत के दर्शन करवा चुके हनुमान सैनी की अनेकों कृतियां बेजोड़ हैं। हाल ही में शाहजहां-मुमताज पर बनाई उनकी पेटिंग में भी कला की अथाह गहराई नजर आती है।
प्रेम के प्रतीक के रूप में मुमताज बेगम की हाथी पर शाही सवारी को दर्शाती इस चित्रकारी में असली सोने और चांदी का बहुतायत मात्रा में उपयोग किया गया है। एक बाल मात्र की तूलिका से सजी यह कृति महीन कला को नए आयाम देती प्रतीत हो रही है। पूरी तरह प्राकृतिक रंगों से आकार लेने वाली उनकी कई कृतियां जयपुर मुगल शैली का परिचय देती हैं। इनमें इतनी तन्मयता बसी है, मानो देखते ही बोल उठेंगी।
राजस्थानी जीवन से इतर कई राज्यों की संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को भी उन्होंने लघु चित्रकारी के धागे में बड़ी शिद्दत से पिराेया है। यही वजह है कि उनकी कला से प्रभावित हो जाने के लिए हर कोई विवश हो जाता है। बहादुरगढ़ में कई साल से लघु चित्रकारी के दर्शन करवा रहे हनुमान सैनी अब तक सैकड़ों नए कलाकार भी तैयार कर चुके हैं।
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