Bahadurgarh News: मुंगेशपुर ड्रेन के अंदर गिरे और उगे 350 पेड़ हटेंगे, जल बहाव होगा सुगम
बहादुरगढ़ में मुंगेशपुर ड्रेन को सुरक्षित करने के लिए सिंचाई विभाग ने कवायद तेज कर दी है। ड्रेन के अंदर उगे और गिरे करीब 350 पेड़ हटाए जाएंगे, जिससे प ...और पढ़ें
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जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। बारिश के मौसम में शहर के लिए आफत बनी मुंगेशपुर ड्रेन को अब सुरक्षित करने की कवायद तेज हो रही है। इसी कड़ी में इस ड्रेन के अंदर उगे और गिरे करीब 350 पेड़ हटाए जाएंगे। इसके लिए सिंचाई विभाग की सिफारिश पर वन विभाग ने प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे ड्रेन के अंदर पानी के बहाव में जो अड़चन बनी हुई है, वह दूर हो जाएगी।
पिछले दिनों जब इस ड्रेन की वजह से बाढ़ जैसे हालात बने तो उसके बाद से सिंचाई विभाग ने इस पर काम शुरू कर दिया था। साथ ही सिंचाई विभाग ने जिला राजस्व कार्यालय से इस ड्रेन का पूरा रिकार्ड भी मांगा था। तहसीलदार को भी इसकी पैमाइश के लिए पत्र लिखा गया था। ड्रेन का पूरा रिकॉर्ड मिलने के बाद इसकी पैमाइश शुरू हो सकेगी।
सिंचाई विभाग की प्लानिंग है कि इस बार ड्रेन में पानी का जो हाई लेवल रहा, उससे तटबंधों को तीन फीट ऊपर तक बनाया जाएगा। ताकि भविष्य में फिर से ऐसी आफत न आए। शहर में जो भी जलभराव की आफत आई, वह इस ड्रेन की वजह से आई। अगर यह मजबूत और साफ होती, इस पर अवैध कब्जे न होते, तटबंध कमजोर न होते तो फिर बारिश की ज्यादा बारिश भी शहर के लिए अधिक परेशानी नहीं बन पाती। इस स्थिति से सीख लेकर आगे की प्लानिंग है।
ड्रेन के अंदर गिरे और उगे पेड़ों की संख्या 350
वैसे तो इस ड्रेन के तटबंधों पर भी काफी पेड़ हैं। इनके कारण सफाई कार्य में परेशानी आती है, लेकिन अब सिंचाई विभाग की कोशिश है कि ड्रेन के अंदर जो पेड़ उगे हैं या गिरे हैं तो कम से कम उनको हटाया जाए। इनकी वजह से ही पानी के बहाव में अड़चन आती है। ऐसे पेड़ों की गिनती की गई, तो वह 350 के करीब मिली। इनको हटाया जाएगा।
कई जगहों पर है ड्रेन पर अवैध कब्जे
इस ड्रेन पर कई जगह अवैध कब्जे है। बहादुरगढ़ में दो ड्रेन आकर मिलती है। एक मुंगेशपुर और दूसरी वेस्ट जुआ। मुंगेशपुर ड्रेन दिल्ली के निजामपुर की तरफ से आती है और वेस्ट जुटा ड्रेन रोहतक जिले की तरफ से आती है। दोनों के मिलन के बाद इससे यह केवल मुंगेशपुर ड्रेन बन जाती है। कई जगह इसके तटबंधों पर अवैध कब्जे हैं।
उनके कारण भी सफाई नहीं हो पाती, क्योंकि मशीन के लिए जगह ही नहीं है। ड्रेन की सफाई मैनुअल तो हो नहीं सकती और मशीनों के लिए रास्ता नहीं है। ऐसे में यह ड्रेन कमजोर हो गई। कई जगह इसके तटबंधों को काटकर कमजोर भी किया गया है।
शहर के वार्ड 18 के अलावा आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र और झाड़ौदा बार्डर के पास इस ड्रेन के तटबंधों पर अवैध कब्जे हैं। जहां-जहां लोगों ने अवैध कब्जे कर रखे हैं, उनको भी इस ड्रेन की वजह से कहीं ज्यादा आफत झेलनी पड़ी।
उधर, सिंचाई विभाग की तैयारी है कि इस बार मुंगेशपुर ड्रेन में जो पानी का हाई लेवल रहा, उससे तटबंधों को ऊंचा किया जाए, ताकि भविष्य में ऐसी नौबत न आए। ड्रेन के तटबंधों को ऊंचा करने के साथ ही सिंचाई विभाग की ओर से अब कुछ साधन जुटाने की भी तैयारी है। मोटर बोट के अलावा दूसरी कई चीजें विभाग अगले मानसून के मौसम से पहले जुटाएगा।
चार जगहों पर ड्रेन टूटने से आई आफत
मुंगेशपुर ड्रेन टूटने से चार जगहों पर आफत आई। एक तो छोटूराम नगर का एरिया। यहां कुछ हिस्से में तो सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के पास से जब ड्रेन टूटी तभी पानी भर गया था। इसके बाद जब यह ड्रेन दिल्ली के निजामपुर एरिया में टूटी तो उससे छाेटूराम नगर का बड़ा हिस्सा डूबा गया था।
इसके अलावा परनाला गांव के सामने लाइनपार क्षेत्र में बनी न्यू नेताजी नगर कालोनी भी इस ड्रेन के पानी में टूट गई थी। इसी जगह पर दोनों ड्रेनों का मिलन होता है। यहां ड्रेन पर अवैध कब्जे भी हैं। इसके अलावा वार्ड 18 का विवेकानंद नगर व धर्मविहार का एरिया भी पानी में डूबा। इसके अलावा दिल्ली-हरियाणा सीमा पर बसी गीतांजलि कालोनी तो पूरी तरह झील बन गई थी।
मुंगेशपुर ड्रेन के अंदर गिरे व उगे पेड़ों को हटाने की प्रक्रिया चल रही है। इस पर वन विभाग काम कर रहा है। हमने पत्र लिखा था। इन पेड़ों के हटने के बाद ड्रेन के अंदर पानी के बहाव में अड़चन नहीं आएगी।
-इशान सिवाच, एक्सईएन, सिंचाई विभाग, बहादुरगढ़

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