Move to Jagran APP

वाह खालसा: जब सिख पगड़ी के आगे झुका अमेरिका, अब दुनिया देखेगी कहानी

अंबाला के बराड़ा के मूल निवासी गुरिंदर सिंह खालसा ने सिख पगड़ी के सम्‍मान के लिए अमेरिका को झुका दिया। गुरिंदर के मुहिम के कारण अमेरिकी कांग्रेस को अपनी नीति बदलनी पडी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 08 Jan 2019 03:05 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jan 2019 08:51 PM (IST)
वाह खालसा: जब सिख पगड़ी के आगे झुका अमेरिका, अब दुनिया देखेगी कहानी
वाह खालसा: जब सिख पगड़ी के आगे झुका अमेरिका, अब दुनिया देखेगी कहानी

अंबाला, [दीपक बहल]। यह खालसा की शान का प्रतीक था। अमेरिका में एक सिख ने पगड़ी की शान की लड़ाई लड़ी आैर आखिरकार अमेरिका को सिख पगड़ी के आगे झुकना पड़ा। पगड़ी की शान बनाए रखने के लिए यह खालसा अमेरिकी कांग्रेस (अमेरिकी संसाद) के सामने इतनी मजबूती से खड़ा हुआ कि उसे अपनी नीति में बदलाव करना पड़ा। यह लड़ाई लड़ने वाले मूल रूप से अंबाला के बराड़ा के गुरिंदर सिंह खालसा को अब माइनॉरिटी बिजनेस मैग्जीन रोजा पार्क ट्रैबलाजर अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। उनको 18 जनवरी को यह अवार्ड दिया जाएगा। उन पर सिंह नाम से एक फिल्म भी रिलीज होगी, जिसमें पगड़ी को सम्मान दिलाने से लेकर सिख इतिहास के बारे में बताया जाएगा। इसे दुनियाभर में फ्री में दिखाया जाएगा। फिल्म मार्च तक रिलीज होगी।

loksabha election banner

अंबाला के गुरिंदर सिंह के संघर्ष के बाद पगड़ी उतारने का नियम हटाया गया

पगड़ी के लिए एनआरआइ गुरिंदर सिंह के संघर्ष की कहानी वर्ष 2007 में शुरू हुई। वह अमेरिका के बफैलो नियाग्रा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे। सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें मेटल डिटेक्टर से भी तीन बार निकाला। कोई भी बीप नहीं बजी। अब उनको पगड़ी उतारने को कहा। उन्होंने इन्‍कार कर दिया। हवाई सफर करने की जगह वह सड़क के रास्ते टोरंटो पहुंचे। तब से ही ठान लिया कि पगड़ी के लिए पूरे समाज को एकजुट कर अमेरिकी संसद तक अपनी बात पहुंचाएंगे। 

गुरिंदर सिंह खालसा अपने परिवार के सदस्‍यों के साथ।

अमेरिकी एयरपोर्ट पर झेला था अपमान, अब उनकी कहानी पर बन रही फिल्म

उस समय खालसा यूनाइटेड स्टेट कांग्रेस ने उनका समर्थन किया। उन्हें कहा गया कि इस मामले पर विचार के लिए रखने के लिए 25 हजार लोगों का समर्थन हासिल करना होगा। गुरिंदर में जुनून इतना था कि वह 65 हजार लोगों का समर्थन ले आए। आखिरकार पॉलिसी में बदलाव हो गया। अब अमेरिका में मेटल डिटेक्टर से निकलने पर अगर बीप की आवाज नहीं आती तो किसी सिख को पगड़ी उतारने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

गुरिंदर सिंह खालसा को अमेरिकी हवाई अड्डे पर राेकने की घटना को उन बनी फिल्‍म मेें भी दिखाया गया है।

सिख इतिहास को स्कूलों में पढ़ाने की ठानी

गुरिंदर सिंह खालसा ने जागरण से बातचीत में बताया कि वह अमेरिका में भी सिख समुदाय के बारे में सिख पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के माध्यम से जागरूक कर रहे हैं। मुख्य उद्देश्य सरकारी हाई स्कूलों में सिख हिस्ट्री का विषय लगवाना होगा। 50 में से आठ राज्यों में सिख विषय स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है।

अमेरिका में सिखों के साथ गुरिंदर सिंह खालसा।

मां ने अंडे बेचकर पढ़ाया

गुरिंदर ने बताया कि मां सुरजीत कौर ने अंडे बेचकर बेटे को पढ़ाया। खालसा की नजर में उनकी माता सरजीत कौर संधू प्रेरणास्रोत, पिता जत्थेदार जितेंद्र सिंह संधू साहस और धैर्य और फूफड़ मेजर कुलवंत सिंह गिल मार्गदर्शक रहे हैं।

अपने परिवार के साथ गुरिंदर सिंह।

अब अमेरिका में लड़ेंगे चुनाव

गुरिंदर सिंह अब अमेरिका में चुनाव लड़ना चाहते हैं। सिख पॉलिटिकल एक्शन कमेटी अपने प्रतिनिधि भी चुनाव में उतारेगी। अंबाला के बराड़ा के अधोई स्कूल में पढ़ने वाले गुरिंदर सिंह खालसा ने अमेरिका में अपना बिजनेस शुरू किया। अमेरिका में क्लेरिफिकेशन इन मार्केटिंग एंड बिजनेस फाइनेंस किया। वह सिखस पीएसी, एंटरप्रेन्योर इंडियाना के चेयरमैन हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.