Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विजय दिवस 2024: जीत में अहम भूमिका निभाई थी अंबाला की खड़गा कोर, मेजर विजय रतन ने दिया था सर्वोच्च बलिदान

    Updated: Sun, 15 Dec 2024 10:20 PM (IST)

    1971 की जंग में भारत की 2 कोर ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। इस कोर में अंबाला के मेजर विजय रतन चौधरी भी शामिल थे जिन्होंने युद्ध में सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनकी याद में अंबाला कैंट में विजय रतन चौक भी है। आज अंबाला में सेना और एयरबेस देश की सुरक्षा के लिए मजबूती से खड़े हैं।

    Hero Image
    अंबाला एयरबेस में राफेल लड़ाकू विमान तैनात।

    जागरण संवाददाता, अंबाला। भारत-पाक के बीच साल 1971 को हुए युद्ध ने विश्व के नक्शे को बदल दिया। 16 दिसंबर 1971 को युद्ध समाप्त हो गया था। बांग्लादेश का उदय हुआ। इसी युद्ध में टू (द्वितीय) कोर यानी खड़गा कोर का नाम भूला नहीं जा सकता। इसने जीत में अहम भूमिका निभाई थी। अपने गठन के सिर्फ दो महीने बाद ही इसके जवानों ने युद्ध में पराक्रम से सभी को हैरान कर दिया था।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पाकिस्तान में घुसकर हमला किया। इस कोर में अंबाला का जवान मेजर विजय रतन चौधरी ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनकी याद में अंबाला कैंट में विजय रतन चौक भी है, जो याद दिलाता इस युद्ध में उनके अदम्य साहस को, जबकि बलिदानी को महावीर च्रक से सम्मानित किया गया था।

    टू कोर यानी खड़ग कोर का अंबाला में 39 साल से अपना बेस बनाए हैं। इससे पहले यह चंडी मंदिर में थी। आज अंबाला में सेना और एयरबेस देश की सुरक्षा के लिए मजबूती से खड़े हैं। थल सेना जहां सुदृढ़ हो चुकी है, वहीं अंबाला एयरबेस पर उन्नत लड़ाकू जहाज राफेल तैनात हैं।

    ऐसे अस्तित्व में आई थी टू कोर

    सेना की टू कोर की स्थाना 7 अक्टूबर 1971 में लेफ्टिनेंट जनरल टीएन रैना के नेतृत्व में हुई थी। शुरुआत में यह कोर बंगाल के कृष्णा नगर में थी। इसकी स्थापना हुई। अपनी स्थापना के महज दो माह बाद ही 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुए भारत-पाक युद्ध में टू कोर ने भाग लिया था।

    इस कोर ने युद्ध में वह कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी नहीं थी। जवानों ने पाकिस्तान में घुसकर हमला किया और दुश्मनों को भागने पर मजबूर कर दिया था। पहले यह कोर पश्चिमी कमान मुख्यालय चंडी मंदिर में थी, जबकि 1985 में इसे अंबाला शिफ्ट कर दिया था। तब से लेकर आज तक यह कोर अंबाला में अपना बेस बनाए हुए है।

    इस तरह से दिया था मेजर विजय रतन ने बलिदान

    भारतीय सेना की टू कोर की कार्रवाई से सभी वाकिफ है। इसी कोर में अंबाला के मेजर विजय रतन चौधरी भी शामिल थे। वे नौ इंजीनियर रेजिमेंट की 405 एफडी कंपनी को कमांड कर रहे थे। युद्ध के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर चकरा में तैनाती थी और वे माइंसफील्ड (बारूदी सुरंगें) बिछाई थीं।

    मेजर विजय रतन को जिम्मेदारी थी कि वे इन बारूदी सुरंगों को हटाएं ताकि टैंकों को आगे भेजा जा सके। इस दौरान पाकिस्तानी सेना की बख्तरबंद गाड़ियों द्वारा जवाबी हमला किया जा रहा था। मेजर विजय रतन ने इस आपरेशन को अपनी निगरानी में शुरू किया और खुद भी मैदान में उतरे।

    पांच दिसंबर से यह आपरेशन किया गया और यह कार्रवाई पाकिस्तान के ठाकुरद्वारा, लोहारा और बसंतर नदी के पास किया गया। बारूदी सुरंगों को हटाने का काम किया जा रहा था, जबकि पाकिस्तानी तोपखाने से दागे गए गोले की चपेट में मेजर विजय रतन आ गए। उन्होंने इस युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।

    पाकिस्तानी हमले को अंबाला एयरबेस ने किया था नाकाम

    भारत-पाक युद्ध 1971 में तीन दिसंबर को पाकिस्तान की एयरफोर्स ने अंबाला एयरबेस को अटैक किया था। पाकिस्तान ने दो बी-57 एयरक्राफ्ट ने आठ बम गिराए। यह हमला विफल रहा और अंबाला एयरबेस को कोई नुकसान नहीं हुआ।

    चार दिसंबर को पाकिस्तानी एयर फोर्स ने फिर रात्रि में करीब ढाई बजे कुछ बम गिराए। इसके बाद 9 दिसंबर को फिर से पाक एयरफोर्स ने अंबाला को टारगेट किया। इस बार भी टारगेट अंबाला एयरबेस था, लेकिन एयरबेस से छह किलोमीटर दूर शाहपुर गांव के खेतों में यह बम गिरे।

    इस युद्ध में अंबाला एयरबेस पर स्क्वाड्रन 32 तैनात थी जिसे विंग कमांडर एचएस मांगट कमांड कर रहे थे। वे अंबाला से अमृतसर चले गए और वहां पर सुखोई विमान से पाकिस्तान के शारकोट एयरफील्ड पर हमला किया।

    इसमें पाकिस्तान की वायुसेना के दो बी-57 लड़ाकू जहाज, एक मिराज व दो सेबरजेट जहाजों सहित कई इमारतों को तो नष्ट किया, साथ ही कई मालगाड़ियों को भी निशाना बनाया।

    comedy show banner
    comedy show banner