राजा बलि को पाताल स्वामी बना भगवान वामन ने की थी देवताओं की मदद
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर उत्तर भारत का अंबाला शहर में मनाया जाने वाला राज्य स्तरीय तीन
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
उत्तर भारत का अंबाला शहर में मनाया जाने वाला राज्य स्तरीय तीन दिवसीय भगवान वामन द्वाद्वसी उत्सव की हर किसी नागरिक को इंतजार है। इस बार भाद्रमास की शुक्लपक्ष की द्वादशी को वामन द्वादशी के रुप में मनाया जाता है इस वर्ष वामन जयंती 11 सितंबर से 13 सितंबर तक मनाई जाएगी। विद्वान पंडितों के अनुसार इसी शुभ तिथि को श्रवण नक्षत्र के अभिजित मुहूर्त में भगवान श्री विष्णु ने एक अन्य रुप भगवान वामन का अवतार लिया था। अवतार दिवस के उपलक्ष्य में जहां प्रात:काल से ही भक्त श्री हरि का स्मरण करते हुए विधि विधान के साथ पूजा कर्म करते हैं। शहर में तीन दिवसीय राज्यस्तरीय मेला उत्सव आयोजित किया जाता है। पिछले करीब 135 साल से तो सनातन धर्म सभा ही इसका आयोजन करती आ रही है।
प्रसन्न होकर राजा बलि को बनाया पाताल लोक का स्वामी
वामन अवतार भगवान विष्णु का महत्वपूर्ण अवतार माना जाता है। श्रीमछ्वगवद पुराण में वामन अवतार का उल्लेख मिलता है। वामन अवतार कथा अनुसार देव और दैत्यों के युद्ध में देव पराजित होने लगते हैं असुर सेना अमरावती पर आक्रमण करने लगती है तब इन्द्र भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं भगवान विष्णु उनकी सहायता करने का आश्वासन देते हैं और भगवान विष्णु वामन रुप में माता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होने का वचन देते हैं। दैत्यराज बलि द्वारा देवों के पराभव के बाद कश्यपजी के कहने से माता अदिति पयोव्रत का अनुष्ठान करती हैं जो पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है। तब भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन अदिति के गर्भ से प्रकट हो अवतार लेते हैं तथा ब्राह्म्ण ब्रह्म्चारी का रूप धारण करते हैं। महर्षि कश्यप ऋषियों के साथ उनका उपनयन संस्कार करते हैं। वामन बटुक को महर्षि पुलह ने यज्ञोपवीत अगस्त्य ने मृगचर्म मरीचि ने पलाश दण्ड आंगिरस ने वस्त्र सूर्य ने छत्र भृगु ने खड़ाऊं गुरु देव जनेऊ तथा कमण्डल अदिति ने कोपीन सरस्वती ने रुद्राक्ष माला तथा कुबेर ने भिक्षा पात्र प्रदान किए। तत्पश्चात भगवान वामन पिता से आज्ञा लेकर बलि के पास जाते हैं। राजा बली नर्मदा के उत्तर तट पर अन्तिम अश्वमेध यज्ञ कर रहे होते हैं। वामन अवतार ले ब्राह्मण वेश धर कर राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंते हैं। वामन रुप में श्री विष्णु भिक्षा में तीन पग भूमि मांगते हैं,राजा बलि अपने वचन पर अडिग रहते हुए श्री विष्णु को तीन पग भूमि दान में दे देते हैं। वामन रुप में भगवान ने एक पग में स्वर्ग ओर दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया और अभी तीसरा पैर रखना शेष था, राजा बलि अपना वचन निभाते हुए अपना सिर भगवान के आगे रख देते हैं और वामन भगवान के पैर रखते ही राजा बलि पाताललोक पहुंच जाते हैं। बलि के द्वारा वचन का पालन करने पर भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और बलि को पाताललोक का स्वामी बना देते हैं। इस तरह भगवान वामन देवताओं की सहायता कर उन्हें पुन: स्वर्ग का अधिकारी बनाते हैं।
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