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    'मुझे मेरी बच्ची लौटा दो...', मां की गोद में मासूम की निर्जीव देह, चीत्कार से दहल गया अस्पताल

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 12:01 PM (IST)

    अंबाला के शंभू बॉर्डर पर एक दर्दनाक हादसे में तीन वर्षीय हर्षदीप कौर की मौत हो गई। बच्ची अपनी मां के साथ दवा लेने जा रही थी। हादसे के बाद बच्ची की मां का करुण विलाप अस्पताल में गूंज उठा। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ गिरफ्तारी से ऐसे हादसे रुक पाएंगे?

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    अंबाला के शंभू बॉर्डर पर एक दर्दनाक हादसे में तीन वर्षीय हर्षदीप कौर की मौत (File Photo)

    जागरण संवाददाता, अंबाला। शुक्रवार शाम शंभू बॉर्डर पर घटित हादसे ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। मासूम 3 वर्षीय हर्षदीप कौर के निर्जीव शरीर को लेकर उसकी मां प्रवीण जिला नागरिक अस्पताल में पहुंची।

    मां की गोद में बेटी का शव था और मां बार-बार कराहते हुए जिला नागरिक अस्पताल की इमरजेंसी में चिल्ला रही थी -मेरी बच्ची मुझे लौटा दो। उसके आंसू नहीं थम रहे थे।

    पति प्रवीण दूसरे बेड पर पड़े दोहरे दर्द से कराह रहे थे। एक दर्द चोट का जोकि समय के साथ भर जाएगा लेकिन दूसरा दर्द मासूम बेटी के चले जाने का जोकि अब शायद कभी नहीं भर पाएगा। यह दर्दनाक दृश्य जिसने भी देखा, उसकी आंखें नम हो गईं।

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    तीन साल की हर्षदीप हाल ही में स्कूल जाना शुरू हुई थी। शुक्रवार शाम को वह सिर्फ दवा लेने अपने माता-पिता के साथ निकली थी। किसी ने नहीं सोचा था कि लौटते समय मां-बाप की गोद से उसकी सांसें हमेशा के लिए छिन जाएंगी।

    शंभू सराय का रहने वाला है परिवार

    बच्ची के मामा रमन ने बताया कि परिवार गांव शंभू सराय का रहने वाला है और अक्सर अंबाला आता-जाता रहता था। बच्ची को थोड़ा-बहुत बुखार आ रहा था। उसके जीजा जैसे ही ड्यूटी से आए तो बहन प्रवीण ने कहा कि हर्षदीप को दवा दिला लाते हैं और वह उसे दवा दिलाने ही अंबाला शहर आ रहे थे। लेकिन रास्ते में ही हादसा हो गया।

    उन्होंने कहा – हम सब स्तब्ध हैं, बच्ची की मासूम मुस्कान अब कभी नहीं देख पाएंगे। हादसे के बाद पूरे गांव में मातम छा गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपी चालक की तलाश जारी है, लेकिन सवाल यही है – क्या सिर्फ गिरफ्तारी से ऐसे हादसे रुक पाएंगे? क्या ट्रैफिक नियमों की सख्ती और सड़क सुरक्षा में सुधार के बिना निर्दोष लोगों की जानें बच सकेंगी?

    कैसे कटेगी रात, कल होगा पोस्टमार्टम

    बच्ची के शव को जिला नागरिक अस्पताल जैसे-तैसे रखवा दिया गया। हालांकि मां बेटी के शव को भी देने के लिए तैयार नहीं थी। आखिर अपने जिगर के टुकड़े को पिछले तीन साल से कभी अलग नहीं होने दिया था।

    लेकिन अब वह हमेशा के लिए उसे छोड़ गई। लेकिन मां को अभी भी एक उम्मीद थी जैसे उसकी बेटी जिंदा हो जाएगी और उसे फिर से आवाज लगाएगी मम्मी मैं ठीक हूं।