कभी मैं मैदान में खिलाड़ी बनकर बैठता था, प्लेयर को भाषण अच्छा नहीं लगता
खेलो हरियाणा की शुरुआत के दौरान प्रदेश के खेल मंत्री संदीप सिंह ने अपनी यादों को ताजा किया। साल 1996 व 1997 की बात करते हुए खिलाड़ियों से कहा कि वे भी कभी हाकी स्टिक लेकर मैदान में बैठते थे। वह दिन कभी नहीं भूलता। समय के साथ-साथ मेहनत भी की और कभी सोचा नहीं था कि मंच पर बैठूंगा। आज मंच पर वे कोच भी बैठे हैं जिन्होंने अंडर-14 हरियाणा की हाकी टीम के कैंप को कोचिग दी थी। उन्होंने खिलाड़ियों को मेहनत करने का मंत्र भी दिया।

जागरण संवाददाता, अंबाला: खेलो हरियाणा की शुरुआत के दौरान प्रदेश के खेल मंत्री संदीप सिंह ने अपनी यादों को ताजा किया। साल 1996 व 1997 की बात करते हुए खिलाड़ियों से कहा कि वे भी कभी हाकी स्टिक लेकर मैदान में बैठते थे। वह दिन कभी नहीं भूलता। समय के साथ-साथ मेहनत भी की और कभी सोचा नहीं था कि मंच पर बैठूंगा। आज मंच पर वे कोच भी बैठे हैं, जिन्होंने अंडर-14 हरियाणा की हाकी टीम के कैंप को कोचिग दी थी। उन्होंने खिलाड़ियों को मेहनत करने का मंत्र भी दिया।
संदीप सिंह ने कहा कि फरुखा खालसा स्कूल में हरियाणा अंडर-14 लड़कों की टीम में वे शामिल हुए थे। ये पहली बार था कि अंडर-14 की टीम स्कूल गेम्स नेशनल के फाइनल में पहुंची थी। यहां पर उनको कोचिग भी मिली। टीम फाइनल में पूरा दम लगाकर खेली। यह वो समय था जब खेलों में उनकी शुरुआत थी। हार भी देखी और जीत का आनंद भी उठाया। नेशनल ही नहीं इंटरनेशनल लेवल पर नाम कमाया। उन्होंने कहा कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती, यह आपको सफलता के शिखर पर ले जाएगी। शिक्षा विभाग में डीपीई पद से सेवानिवृत्त व हाकी कोच एसएस मान ने बताया कि उन दिनों कैंप फरुखा खालसा स्कूल में लगा था और संदीप सिंह उसमें शामिल हुए थे। फाइनल में टीम हार गई थी, जबकि उस दौरान जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने खिलाड़ियों को मेडल पहनाए थे।
खिलाड़ियों को भाषण पसंद नहीं हैं
विभिन्न राज्यों से आए खिलाड़ी जब धूप में मैदान में बैठे थे, तो खेल मंत्री ने चुटीले अंदाज में अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को नेताओं का भाषण ज्यादा पसंद नहीं है। इस पर उन्होंने खिलाड़ियों की राय भी जानी तो कइयों ने अपने हाथ खड़े किए। उन्होंने भी तुरंत अपनी बात खत्म करते हुए खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दी और खेलों का शुभारंभ करने की घोषणा की।
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