राजकीय स्कूलों में SMC की नजर शिक्षकों पर, दी 27 जिम्मेदारी; टूयूशन न पढ़ाए शिक्षक करना होगा सुनिश्चित
विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) को शिक्षकों की निगरानी करने और ट्यूशन रोकने के निर्देश दिए हैं। एसएमसी को शिक्षकों के व्यवहार पर भी नजर रखनी होगी। निदेशालय ने एसएमसी पर 27 तरह के कार्य सौंपे हैं जिनमें फंड जुटाना और सर्वे करना शामिल है। एसएमसी में सदस्यों की संख्या विद्यार्थियों के आधार पर तय होगी।

जागरण संवाददाता, अंबाला। विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (एसएमसी) को जहां शिक्षकों की मॉनीटरिंग के निर्देश दिए, वहीं यह भी सुनिश्चित करना होगा कि शिक्षक ट्यूशन न पढ़ाएं। कई बार देखने में आया है कि शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों को प्राइवेट ट्यूशन के लिए कहा जाता है और इसी को तोड़ने के लिए एसएमसी को जिम्मेदारी दी गई है।
यही नहीं विद्यार्थियों के साथ शिक्षकों का व्यवहार कैसा है, इस पर भी एसएमसी को नजर रखनी होगी। कुल मिलाकर निदेशालय ने एसएमसी पर करीब 27 तरह के कार्य लाद दिए हैं, जिनमें सर्वे करना तक शामिल है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 को स्कूल में लागू किया जा रहा है या नहीं, किसी कार्य के लिए फंड जुटाने तक के काम एसएमसी के जिम्मे लगा दिए हैं।
अब एसएमसी के गठन को लेकर स्कूलों में हलचल है, जबकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों की भी नजर इन पर रहेगी। खास है कि स्कूल में विद्यार्थी संख्या के आधार पर ही एसएमसी सदस्यों की संख्या को तय करने के निर्देश जारी हुए हैं। जिन राजकीय स्कूलों में प्राइमरी, माध्यमिक विद्यालय, उच्च माध्यमिक स्कूल चल रहे हैं, उनकी एसएमसी मर्ज होंगी।
इस तरह से होना है एसएमसी का गठन
एसएमसी में पूर्व प्रधान या उपप्रधान को समिति में दोबारा इन पदों पर शामिल नहीं किया जाएगा। समिति में बच्चों के स्वजन अथवा संरक्षक सदस्यों को भी तय किया गया है। इसके तहत विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या 50 तक है तो कुल 12 सदस्य हो सकेंगे, जिनमें स्वजन या संरक्षक सदस्य सहित पदेन सदस्य होंगे।
इसी तरह 51 से 100 की संख्या वाले स्कूल में 12, 101-150 तक की संख्या वाले स्कूल में 14, 151 से 200 तक में 15, 201 से 250 की संख्या वाले विद्यार्थियों के स्कूल में यह संख्या 16 होगी। इसी तरह 251 से 300 विद्यार्थी संख्या वाले स्कूल में 17, 301 से 350 विद्यार्थी संख्या वाले स्कूल में 18, 351 से 400 वाले विद्यार्थी संख्या पर 19 तथा 451 से 500 विद्यार्थी संख्या वाले स्कूल में 20 सदस्य होंगे।
दूसरी ओर यदि किसी विद्यालय में विद्यार्थी संख्या 500 से अधिक है, तो प्रत्येक 100 विद्यार्थी पर एक अतिरिक्त सदस्य एसएमसी में शामिल किया जाएगा।
विशेष आमंत्रित सदस्यों में निर्माण कार्य का जानकार, विद्यालयों की जरूरतों और विभागों से तालमेल रखने वाला व्यक्ति, समाज का गणमान्य व्यक्ति या दानदाता, शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाली एनजीओ, स्कूल पालिसी व सीएआरआर फाउंडेशन के तहत कंपनी प्रतिनिधि को विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर शामिल किया जाएगा।
इस तरह के कार्य होंगे जिम्मे
एसएमसी के जिम्मे तमाम कार्य दिए गए हैं, जिनको पूरा करना होगा। इसके तहत करीब 27 कार्य लगाए गए हैं, जो एसएमसी को करने होंगे। इनमें सबसे अहम स्कूल के लिए फंड की व्यवस्था करना है।
विद्यालय के विकास के लिए स्वीकृति एवं विकास कोष को बढ़ाना, विद्यालय के परिचालन व्यय मद में आय-व्यय में अंतर होने पर स्वयं अपने सदस्यों से व सामान्य जनता एवं अन्य दान दाताओं से आर्थिक सहायता करना तथा दान एवं अनुदान प्राप्त करने हेतु कार्यकारिणी समिति द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर विचार-विमर्श एवं निर्णय करना भी शामिल है।
स्कूल के आसपास के सभी पांच से 18 वर्ष तक के बच्चों का स्कूल में दाखिला सुनिश्चित करना तथा स्कूल में दाखिले के लिए किये जाने वाले सर्वे में अपना सहयोग देना होगा।
मीटिंग के दिन भी किए गए हैं तय
एसएमसी द्वारा मासिक स्तर पर स्वजनों आदि के साथ मीटिंग भी आयोजित की जाएंगी। इसके लिए हर स्तर पर जिम्मेदारी तय की गई है कि किस तरह से सभा का आयोजन होगा। हालांकि साल में तीन बार आम सभाएं आयोजित की जाएंगी, जो 15 अगस्त, 26 जनवरी व मार्च माह में होंगी।
दूसरी ओर मासिक बैठक माह के अंतिम शनिवार को होगी। यदि सदस्य तीन बैठकों में गैरहाजिर रहता है तो सदस्यता खत्म होगी।
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