पहाड़ों की रानी शिमला तक के लिए टॉय ट्रेन पर लगा ब्रेक, 14 दिनों तक नहीं कर सकेंगे सफर; क्या है वजह?
शिमला तक छुक-छुक ट्रेन का सफर 30 मई से 12 जून तक रुका रहेगा। रेलवे ने जुटोग-समर हिल सेक्शन पर मरम्मत के कारण 14 दिनों का ब्लॉक लिया है। कालका से शिमला जाने वाली ट्रेन तारा देवी पर ही रुक जाएगी। दो करोड़ 95 लाख रुपये की लागत से ट्रैक की मरम्मत की जा रही है जो बारिश के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था।

दीपक बहल, अंबाला। पहाड़ों की रानी शिमला तक अब छुक-छुक ट्रेन में सफर नहीं हो सकेगा। रेलवे ने 14 दिनों तक जुटोग समर हिल सेक्शन पर ब्लॉक लिया है। कालका से शिमला तक दौड़ने वाली ट्रेन तारा देवी पर ही रुकेगी, जिसके बाद यात्रियों को अन्य साधनों से अपने गंतव्य तक जाना होगा।
हालांकि, यह मुश्किल होगा क्योंकि कालका शिमला सेक्शन पर सड़क मार्ग पर दूर-दूर तक जाम की स्थिति लग जाती है। 30 मई से 12 जून तक शिमला तक रेल नहीं चलेगी। करीब 11 किलोमीटर पहले ही ट्रेन का सफर बीच रास्ते छोड़ना पड़ेगा। इसकी वजह रेलवे संरक्षा से जुडी है।
इस सेक्शन पर करीब दो साल पहले बादल फटने से पहाड़ी का एक हिस्सा बह गया था, जिसका असर रेलवे ट्रैक पर भी पड़ा था। जुटोग समर हिल सेक्शन बीच ट्रैक का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। अस्थायी रूप से रेलवे ने ट्रेनों का आवागमन शुरू करवा दिया था, लेकिन अब करीब दो करोड़ 95 लाख रुपये की लागत से इस हिस्से को तैयार किया जा रहा है।
इन 14 दिनों में रेलवे चाहकर भी तारा देवी से शिमला तक अन्य वाहनों की व्यवस्था नहीं कर पा रहा, क्योंकि रेलवे के नियमों में इस तरह की व्यवस्था पर स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। महज आपातकालीन स्थिति में ही रेलवे यात्रियों के लिए चौपहिया वाहनों की व्यवस्था कर सकता है।
बारिश से ढहा पहाड़ी हिस्सा, ट्रैक क्षतिग्रस्त
इस रूट पर करीब सात गाड़ियां रोजाना दौड़ती हैं। अगस्त 2023 में बादल फटने और भारी वर्षा कारण पहाड़ी का एक हिस्सा ढह जाने से विश्व धरोहर स्थल कालका-शिमला ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गया। शिमला में जुटोग और समर हिल रेलवे स्टेशनों के बीच पटरी का एक बड़ा हिस्सा बह गया था। यह पहाड़ी से नीचे लटक गया था, जबकि कंडाघाट-शिमला के बीच ट्रेनों की आवाजाही रद कर दी गई थी।
बाद में अस्थायी रूप से व्यवस्था कर दी थी, लेकिन अब बरसात से पहले रेलवे ने टेंडर अलाट किया है। रेट को लेकर रेल अधिकारियों को काफी प्रयास करने पड़े, क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र में कोई कंपनी टेंडर लेने की इच्छुक नहीं थी। रेलवे ने फोकस करते हुए 2.95 करोड़ का टेंडर जारी कर दिया।
यूनेस्को ने चुना था विश्व धरोहर
100 साल पुरानी कालका-शिमला रेल लाइन 96 किलोमीटर लंबी है, जो नैरोगेज है। इस रेलमार्ग को मूल रूप से यूरोपीय लोगों को शिमला (तत्कालीन ब्रिटिश भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी) तक पहुंचाने के लिए बनाया गया था।
इसे यूनेस्को ने 2008 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना था। इस सेक्शन पर गर्मियों के मौसम में देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग आते हैं। खासकर कालका से शिमला ट्रेन का सफर काफी रोचक व दर्शनीय होता है।
यह ट्रेनें इस रूट पर दौड़ती हैं: कालका शिमला सेक्शन पर सात से अधिक ट्रेनें दौड़ती हैं। इन ट्रेनों में 52457, 52458, 52452, 52459, 52460, 52455, 52456 और 52451 हैं। अब इन ट्रेनों को 30 मई से 12 जून तक शिमला से पहले ही रद किया जाएगा।
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