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    नियमों की उड़ा रहे धज्जियां स्कूल, बच्चों को उठाना पड़ रहा भारी बस्ता; पैरेंट्स जान लें स्कूली बैग से जुड़े नियम

    Updated: Tue, 22 Apr 2025 10:41 AM (IST)

    हरियाणा में स्कूल बैग नीति 2020 के नियमों का उल्लंघन हो रहा है जिससे बच्चों को भारी बस्ते ढोने पड़ रहे हैं। पहली से दसवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए बैग का वजन तय है लेकिन निजी स्कूल नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। भारी बस्ते के कारण बच्चों में कमर दर्द और कंधे से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। अभिभावक भी बच्चों के भारी बैग से चिंतित हैं।

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    बस्ते के बोझ तले भविष्य की नींव, फिजीशियन डॉ. बोलीं : ये खतरनाक (जागरण फाइल फोटो)

    विनोद जोशी, अंबाला। हरियाणा में स्कूल बैग नीति-2020 के नियम गैर-सरकारी व सरकारी स्कूलों के लिए बनाए गए हैं। इस नीति के अनुसार कक्षा पहली से 10वीं तक के विद्यार्थियों के लिए स्कूल बैग (बस्ते) का वजन पांच कैटेगरी में तय किया गया। जिसमें अधिकतम वजन पांच किलोग्राम तक ही स्कूल बस्ते का वजन होना चाहिए और गले में पानी की बोतल नहीं होनी चाहिए। यह नियम अब खासकर निजी स्कूल संचालक हलके में ले रहे है।

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    सोमवार को दैनिक जागरण संवाददाता ने अंबाला कैंट के स्कूलों की छुट्टी होने के बाद जायजा लिया तो दिखा कि पहली कक्षा के बच्चों के गले में व अभिभावकों के हाथ में पानी की बोतलें दिखाई दी। इस तरह स्कूल संचालक नियम भूलते हुए दिखाई दिए। स्कूल बैग नीति को लेकर स्कूल संचालक गंभीर नहीं है और इस तरह भविष्य की नींव बस्ते के बोझ तले दबते नजर आ रहे हैं।

    इस तरह स्कूल बस्तों का बोझ भविष्य के नींव पर रहा तो वो दिन दूर नहीं, जब अधिकतर बच्चों के भी कमर में दर्द व कंधों से जुड़ी समस्याएं सामने आनी शुरू होगी। अंबाला कैंट नागरिक अस्पताल की फिजीशियन डॉ. पल्लवी के अनुसार अगर ऐसा रहा तो यह सब दिक्कतें आनी तय है। अभी भी काफी बच्चे हमारे पास कमर दर्द व कंधों से जुड़ी समस्या लेकर आते हैं। ऐसे में हम उनको बचाव के तरीके बताते हैं।

    क्या कहते है शिक्षा विभाग के नियम

    • कक्षा पहली से दूसरी : स्कूल बैग का वजन 1.5 किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए।
    • कक्षा तीसरी से पांचवीं : स्कूल बैग का वजन 2 से 3 किलोग्राम तक होना चाहिए।
    • कक्षा छठी से सातवीं : स्कूल बैग का वजन 4 किलोग्राम तक होना चाहिए।
    • आठवीं से नौवीं : स्कूल बैग का वजन 4.5 किलो तक होना चाहिए।
    • कक्षा 10वीं : स्कूल बैग का वजन 5 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए।

    नोट : शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार डाटा।

    अभिभावकों ने बिना नाम बताए बताई कई अहम बातें

    जब दैनिक जागरण संवाददाता स्कूल की छुट्टी होने पर स्कूल के बाहर गए तो स्कूल के अंदर से बच्चों के बैग टांगे अभिभावक निकल रहे थे। यहां तक की अभिभावकों के कंधों बस्ता व हाथों में पानी की बोतल थी। इसी तरह कई कई पहली से दूसरी कक्षा के अधिकतर बच्चों के गले में पानी की बोतल थी। अभिभावकों से जब इस तरह की व्यवस्था के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बिना नाम बताए कई अहम बातें बताई।

    अभिभावकों का कहना था कि बच्चे पानी की बोतल इसीलिए लेकर जाते है कि छोटे बच्चे पानी-पीने के लिए क्लास रूम से बाहर जाते है तो पानी पीने के लिए गिलास नहीं होते, जिससे उनके कपड़े भीग जाते है और इसीलिए पानी की बोतल घर से लेकर जाते है। इसी तरह स्कूल बैग में किताबें होती है और फिर खाने टिफिन भी होता है। कई बार स्कूल से कई अलग किताबें भी होती है।

    जानिए....क्या कहते है फिजीशियन

    नागरिक अस्पताल की फिजीशियन डॉ. पल्लवी के अनुसार स्कूल बस्ते का वजन अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसे में कई बार बच्चे एक कंधे पर ही स्कूल बस्ते का वजन रख लेते हैं। ऐसे में संबंधित विद्यार्थी को कंधे संबंधित समस्या होने लग जाती है और कमर दर्द भी होना तय है। ऐसी स्थिति में दोनों कंधों पर बस्ते का वजन होना चाहिए। फिर भी स्कूल बस्ते का वजन कम हो तो बेहतर है।

    अभी अभिभावक फिजियोथेरेपी के लिए बच्चों को लेकर अस्पताल आते है। जबकि इस उमर में बच्चा आना आगे के लिए सफर काफी मुश्किल होता है। स्कूल के समय बच्चों के कंधों पर वजन न के बराबर होना चाहिए। जब कमर दर्द व कंधों से जुड़ी बीमारियां घेर लेती है तो धीरे-धीरे बच्चे झुककर पढ़ना शुरू करते है और इस तरह वह सर्वाइकल की भी चपेट में आ रहे हैं।