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    Haryana News: टैक्स चोरी में अधिकारियों की लापरवाही, राजस्व को बड़ा नुकसान; सरकारी खजाने में फूटी कौड़ी नहीं आई

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 08:35 PM (IST)

    अंबाला में कर चोरी के मामलों में अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ है। ऑडिट विभाग ने भी आबकारी एवं कराधान विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। दो लाख से अधिक कारोबारियों पर 32 हजार करोड़ से अधिक का बकाया है जिसकी वसूली के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है।

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    जुर्माने की अपील की फाइल दबा गए अफसर। सांकेतिक फोटो

    दीपक बहल, अंबाला। प्रदेश में टैक्स चोरी और अन्य मामलों में कारोबारियों पर लगाए गए जुर्माने की अपीलों की फाइलों को ही अधिकारी दबा गए जिसके चलते भी सरकारी खजाने में फूटी कौड़ी नहीं पहुंची।

    आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली को लेकर आडिट विभाग भी सवाल खड़े कर चुका है। कारोबारियों से अरबों रुपये आना है, लेकिन अफसरों की लापरवाही के चलते यह राशि अटक गई।

    यहां तक कि किसी भी अधिकारी के खिलाफ इस गंभीर मामले में भी जिम्मेदारी फिक्स नहीं की गई। यह भी जांच का विषय है कि किस अधिकारी के कार्यकाल में दस्तावेजों को दबाया गया जिसका सीधा लाभ कारोबारियों को हुआ।

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    दूसरी ओर प्रदेश में दो लाख 86 हजार से अधिक कारोबारियों पर 32 हजार करोड़ से अधिक बकाया है, जिसको लेकर भी राज्य के सभी अधिकारियों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली गई और एक-एक जिले पर चर्चा की गई।

    जिलों के रिकवरी के आंकड़े काफी निराश करने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि वैट का यह रुपये कई सालों पुराना है, लेकिन फाइलों में दबा रखा है। सूत्रों का कहना है कि आडिट विभाग ने भी इस बकाया को लेकर आपत्ति उठाई थी और इसको लेकर भी अधिकारियों से पत्राचार किया गया था।

    इस तरह अपीलों पर नहीं हुआ गौर

    राज्य के कई जिलों में सैंकड़ों कारोबारियों पर जुर्माना लगाया गया था। इसके बाद कुछ ने जुर्माना जमा करा दिया तो कुछ ने वरिष्ठ अधिकारियों के ऊपर अपील कर दी।

    यह अपील रेंज में की गई थी। इसके बाद कारोबारियों ने अपना पक्ष रेंज अधिकारियों के पास रखा, जिसके बाद फाइल एक बार फिर जिला स्तर पर आबकारी एवं कराधान विभाग के पास पहुंच गई।

    कारोबारियों का तर्क था कि जुर्माना गलत लगाया गया है। इसके बाद रेंज से फाइल जिला स्तर पर अधिकारियों के पास आ गई। इन फाइलों का निपटारा करने के लिए समय सीमा तय हुई पड़ी है, लेकिन अपील में गई फाइल दोबारा अफसरों के पास तो पहुंच गई लेकिन उसको दबा दिया गया। सेक्शन 18 में समयावधि में इन फाइलों का निपटारा हो जाना चाहिए था।

    इसके बाद या तो कारोबारी जुर्माना जमा कराते या फिर से अपील में जाते। किंतु समयावधि में कोई फैसला ही नहीं लिया गया जिसका सीधा फायदा कारोबारियों को हुआ और उनको जुर्माना जमा नहीं कराना पड़ा।

    इस पूरे प्रकरण में अफसरों की लापरवाही सीधा नजर आ रही है, लेकिन किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई। बता दें कि प्रदेश में अंबाला, फरीदाबाद, हिसार और गुरुग्राम में रेंज है जहां पर ईटीसी प्रमुख होते हैं।

    वीडियो कांफ्रेंसिंग से अफसरों से किया गया जवाब तलब

    32 हजार करोड़ रुपये वैट का बकाया है जो पिछले आठ सालों से सरकारी खजाने में नहीं पहुंचा। इसको लेकर चंडीगढ़ मुख्यालय से भी वरिष्ठ अधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के अधिकारियों से बात की और उनको बताया गया कि जो रिकवरी अभी तक हुई है उसके आंकड़े संतोषजनक नहीं है। अधिकारियों को आदेश दिए गए हैं कि मामले को गंभीरता से समझें और अधिक से अधिक रिकवरी करें।

    जीएसटी से पहले हरियाणा में वैट था

    बता दें एक जुलाई 2017 से पहले हरियाणा में वैट था। इसके बाद गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हो गया। अब भी 2 लाख 86 हजार से अधिक कारोबारियों पर रिकवरी पड़ी थी, लेकिन इन आठ सालों में सिर्फ कागजों में ही आदेश जारी होते रहे, लेकिन रिकवरी न के बराबर हुई।

    एक अप्रैल 2025 से 30 सितंबर 2025 तक की स्कीम लांच की गई लेकिन इसमें कारोबारी रुचि नहीं ले रहे।