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    जमींदार नहीं जलाएंगे पराली

    सुप्रीम कोर्ट से लेकर राज्य सरकार पराली जलाने वालों पर कार्रवाई को लेकर काफी गंभीर है। अब ऐसी कोई ढिलाई करने के मूड में नहीं है जिससे पड़ोसी राज्य की सरकार प्रदूषण बढ़ने का ठीकरा हरियाणा के जमींदारों पर ठोक सके।

    By JagranEdited By: Updated: Sun, 26 Sep 2021 06:30 AM (IST)
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    जमींदार नहीं जलाएंगे पराली

    जागरण संवाददाता, अंबाला : सुप्रीम कोर्ट से लेकर राज्य सरकार पराली जलाने वालों पर कार्रवाई को लेकर काफी गंभीर है। अब ऐसी कोई ढिलाई करने के मूड में नहीं है जिससे पड़ोसी राज्य की सरकार प्रदूषण बढ़ने का ठीकरा हरियाणा के जमींदारों पर ठोक सके। ऐसे में प्रशासन की सख्ती के साथ जमींदारों की जागरूकता ही पराली नहीं जलाने के मुद्दे पर हरियाणा सरकार का साथ देकर धान की कटाई प्रदूषण मुक्त वातावरण को बढ़ावा दे सकती है। जमींदारों ने भी ठान लिया है कि कुछ भी हो जाए पराली को आग नहीं लगाएंगे।

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    रेड जोन में शामिल गांव

    - बानोखेड़ी

    - जलबेड़ा

    - कोट कछुआ खुर्द

    - मोहड़ी

    - सोंटा

    - धीन

    - लोहगढ़

    - गदौली

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    जमींदार बोले, हम करते हैं पराली जलाने से परहेज

    मोहड़ी गांव के जमीदारों ने एक स्वर में कहा कि हम पराली जलाने से पहले से ही परहेज करते हैं। हमें भी पर्यावरण की बखूबी चिता है। वातावरण को दूषित होने की बचाने की जिम्मेवारी हमारी ही है। सभी जान चुके हैं कि फसलों के अवशेष और कूड़े की ढेर में आग लगाने से पर्यावरण में प्रदूषण होने का खतरा रहता है।

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    प्रशासनिक उत्पीड़न बंद हो

    सरकार को चाहिए कि वह किसानों की मदद करे, ऐसे में पराली जलाने के नाम पर तरह तरह का प्रशासनिक उत्पीड़न बंद होना चाहिए। हमारा कोई भी किसान भाई पराली नहीं जलाता है, अगर कार्रवाई और जुर्माना लगाना है तो प्रदूषण फैला रहे फैक्ट्रियों के संचालकों पर होना चाहिए।

    करनैल सिंह, जमींदार, गांव मोहड़ी

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    किसानों पर कार्रवाई नहीं हो

    खेतों में खर पतवार होते हैं जो जुताई के समय मिट्टी में मिलकर खाद का काम करते हैं। पराली को खेत में आग लगाने से उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है, ऐसे में जमींदार खेत में फसलों के अवशेष को भला आग क्यों लगाएगा। हम जमींदारों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

    जरनैल सिंह, जमींदार, गांव मोहड़ी

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    जमीन की उपजाऊ क्षमता कम होती है

    जमींदार खेत और उसमें पैदा होने वाली फसल को लेकर बहुत जागरूक हो चुका है। किसान यह कभी नहीं चाहेगा कि खेत में धान की कटाई के बाद बचे अवशेष में आग लगाई जाए। क्योंकि खेतों में फसल के अवशेष जलाने से उसकी उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है।

    प्रेम सिंह, जमींदार गांव मोहड़ी

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    किसानों के दर्द को समझे सरकार

    हमारे गांव का बच्चा-बच्चा प्रदूषण नियंत्रण के नारे को साकार करने में जुटा है। समाज में अहम रोल अदा करने वाला जमींदार भला कैसे पराली में आग लगाकर वातावरण को दूषित करने की बात सोच सकता है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह जमींदारों के दर्द को समझे।

    - गुरमीत सिंह, जमींदार गांव मोहड़ी।